India’s Economic Crisis: देश की 1 अरब जनंसख्या के पास खर्च करने के लिए पैसे नही!

India’s Economic Crisis: Imagine कीजिए एक ऐसे देश में रहना जहां economy boom कर रही है, टीवी पर ऐसा दिखाया जा रहा है कि हम विश्व गुरु है और luxury brands record profits कमा रहे हैं।

लेकिन दूसरी तरफ उसी देश में 1 अरब लोग ऐसे है जो अपनी बेसिक जरूरतों के लिए दिन-रात struggle कर रहे हैं। Welcome to India’s ‘K-shaped’ economic growth, जहां अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीबों की हालत और खराब होती जा रही है।

विश्व गुरु का सपना दिखाने वाले Economic Crisis पर बात क्यो नही कर रहे है?

टीवी के द्वारा सब कुछ हरा-हरा दिखाया जा रहा है और इस हरा-हरा को दिखाने के चक्कर मे करोड़ो रूपये प्रचार पर खर्च किया जा रहा है। अगर सब कुछ हरा होता तो सरकार को इसका प्रचार नही करना पड़ता, यह अपने आप सबके सामने आ जाता। वही सरकार Economic Crisis पर बात करना तो दूर अगर किसी ने बोल दिया तो उस पर आग बबूला हो जाती है।

भारतीयों का हुआ अपमान, सरकार बोली यह होता रहता है।

अमेरिका से 119 भारतीय प्रवासियों का निर्वासन: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का मोदी सरकार पर निशाना

अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जिन्हें हमारे प्रधानमंत्री अपना मित्र बताते है। प्रधानमंत्री का वह मित्र अमेरिका में रह रहे भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार कर हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़िया बांधकर आर्मी के विमान से भारत यह कह कर वापस भेज देता है कि वो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे।

अगर हमारे पीएम के सचमुच मित्र ट्रम्प रहते तो भारत की धरती पर अपना सैन्य विमान नही उतारते। बल्कि इंडियन गवर्मेंट से बात करते और इंडियन गवर्मेंट उन्हें अपने विमान से वापस भारत लाती। इधर संसद में भारत के विदेश मंत्री ने विपक्ष को बयान देते हुए कहा कि, यह होता रहता है। उन्हें अवैध रूप से अमेरिका में नही घुसना चाहिए था।

विपक्ष का कहना है कि जिस प्रचार पर करोड़ो रूपये बहाए गए, क्या वह प्रचार सही है? अगर यह प्रचार सही होता तो, भारतीय नागरिक अपना घर-बार छोड़ कर दूसरे देशों में पलायन करने को मजबूर नही होते।

India’s Consumer Market की एक कड़वी सच्चाई..

India’s Consumer Market की एक कड़वी सच्चाई..

हाल ही में आई Bloom Ventures की report के अनुसार, भारत में सिर्फ 130-140 million लोग ही real consumers हैं, जो discretionary spending कर सकते हैं। करीब 300 million लोग ’emerging consumers’ हैं, लेकिन उनकी spending capacity बहुत limited है। और चौंकाने वाली बात यह है कि 1 अरब भारतीयों के पास खर्च करने के लिए पैसे ही नहीं हैं।

इसका मतलब है कि दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश का Real Consumer Market Mexico की Population के बराबर है।

बढ़ती असमानता: अमीर और अमीर, गरीब और गरीब

बढ़ती असमानता: अमीर और अमीर, गरीब और गरीब

भारत की economy बढ़ रही है, लेकिन किसके लिए? आइए numbers देखें:

  • टॉप 10% भारतीयों के पास 57.7% राष्ट्रीय आय है, जो 1990 में सिर्फ 34% थी।
  • निचले 50% भारतीयों की आय हिस्सेदारी 22% से गिरकर 15% हो गई।
  • Middle class shrink कर रहा है, stagnant salaries और बढ़ती महंगाई की वजह से।

अगर आप सोचते हैं कि economic growth सबके लिए फायदेमंद होती है, तो यह गलतफहमी है। असल में भारत की wealth सिर्फ top 10% लोगों तक सीमित हो रही है, जबकि बाकी लोग struggle कर रहे हैं।

Premiumization: सिर्फ अमीरों के लिए बाजार

Luxury brands, high-end real estate और महंगे gadgets की sales तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन affordable housing और budget-friendly products की demand गिर रही है।

  • Affordable housing की market share 5 सालों में 40% से घटकर 18% रह गई।
  • Luxury homes और premium cars की रिकॉर्ड बिक्री हो रही है।
  • Coldplay और Ed Sheeran के concerts के महंगे tickets कुछ ही घंटों में बिक जाते हैं।

यानी companies अब top 10% consumers को target कर रही हैं और बाकी जनता को ignore कर रही हैं।

सरकार की भूमिका: नीतियों की असफलता?

सरकार भले ही GDP growth के दावे करे, लेकिन सच्चाई यह है कि:

  • Reserve Bank of India (RBI) ने unsecured loans पर सख्ती की है, जिससे लोगों के लिए credit लेना मुश्किल हो गया।
  • Inflation ने middle-class की savings को खत्म कर दिया है और लोग ज्यादा debt में फंस रहे हैं।
  • AI और automation की वजह से jobs खत्म हो रही हैं, खासकर white-collar jobs।

लेकिन सरकार इन मुद्दों को सुलझाने के बजाय कही और ध्यान दे रही है। कहा ध्यान दे रही? यह किसी से छिपा नही है।

युवाओं को लगा तगड़ा झटका।

इंडियन Economic Crisis का आलम ये है कि युवा रोजगार नही मिलने के कारण दिन भर यूट्यूब और गूगल से यह पूछते है कि “पैसे कैसे कमाए!” ऑनलाइन पैसा कमाने का Keyword इतना रैंक किया कि, इसका फायदा भी भारत का आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग ने उठाया। तमाम ऐसे वीडियो बनाए गए जिसमे पैसा कमाने के ऐसे साधन बताए गए जिससे युवा आज कर्ज में फंस चुके है।

खुद पीएम ने लोकसभा इलेक्शन के दौरान कहा कि, स्टॉक में पैसा लगाओ, युवा अपनी बेरोजगारी मिटाने के लिए जब यहां घुसे तो अपना सब कुछ बर्बाद कर लिए।

दरअसल इंडियन स्टॉक मार्केट में इतनी बड़ी गिरावट आई कि 30 सालों के रिकार्ड ही टूट गए। पैसा अगर देश मे रहता तब भी गलीमत रहती लेकिन आंकड़े बताते है कि यह पैसा शेयर मार्केट के जरिये ही विदेश चला गया।

वही कुछ बेरोजगार युवा ऑनलाइन गेमिंग का भी शिकार हुए। यहां यह भी बता दे, कि जब ऑनलाइन गेमिंग की बात होती है तो सत्ता दल आग बबूला हो जाता है। हो भी क्यों न, इलेक्ट्रोल बांड के जरिये “ऑनलाइन गेमिंग” कंपनियों ने सत्ता दल को डोनेशन के रूप में मोटी रकम जो दी है।

नोटबंदी भी एक बड़ा कारण।

India’s Economic Crisis: जानिए क्यों, देश की 1 अरब जनंसख्या खर्च करने में असमर्थ है। नोटबंदी

8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी का अचानक टीवी पर आना और नोटबंदी करना, इसे एक मास्टर स्ट्रोक बताया गया था। जिसके फायदे और नुकसान पर अब तक कई बहसें हो चुकी हैं, और अलग-अलग रिपोर्ट्स अलग-अलग निष्कर्ष निकालती हैं। लेकिन आंकड़ों और वास्तविकता के आधार पर देखें तो लॉन्ग-टर्म में इसके नुकसान ही दिखाई दे हैं। नीचे दिए गए बिंदुओं को पढ़े और आप खुद तय करे कि, क्या देश की Economic Crisis का एक बड़ा कारण नोटबंदी नही है?

  1. 99.3% पुराने नोट वापस आ गए: RBI की रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी के दौरान बंद किए गए कुल ₹15.41 लाख करोड़ में से ₹15.31 लाख करोड़ वापस बैंकों में जमा हो गए। यानी ब्लैक मनी बाहर लाने का जो मुख्य उद्देश्य था, वह पूरा नहीं हुआ।
  2. GDP ग्रोथ पर बुरा असर पड़ा: 2016-17 में GDP ग्रोथ 8.2% से गिरकर 6.1% रह गई। असंगठित क्षेत्र को बहुत ज्यादा झटका लगा।
  3. रोजगार और बिजनेस पर जबरदस्त मार: छोटे व्यापारी, किसान और दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। असंगठित क्षेत्र में लाखों नौकरियां चली गईं।
  4. कैश की किल्लत से आर्थिक संकट: कई महीनों तक कैश की भारी कमी रही, जिससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी मुश्किल हो गई।
  5. रियल एस्टेट और SME सेक्टर को भारी झटका: कई छोटे और मध्यम बिजनेस बर्बाद हो गए। रियल एस्टेट में ब्लैक मनी का बड़ा हिस्सा लगा होता था, इसलिए इस सेक्टर में जबरदस्त मंदी आ गई।
  6. सरकार को नए नोट छापने में भारी खर्च हुआ: नए नोट छापने, एटीएम को अपडेट करने और लॉजिस्टिक्स में सरकार को हजारों करोड़ रुपये का खर्च उठाना पड़ा।
  7. Black Money पर कोई खास असर नहीं: ब्लैक मनी के बड़े हिस्से को लोग रियल एस्टेट, गोल्ड और विदेशी अकाउंट्स में पहले ही बदल चुके थे, इसलिए सरकार को ब्लैक मनी निकालने में कोई सफलता नही मिली।

देश की Economic Crisis से निकालने के लिए क्या है फ्यूचर प्लान

Experts का मानना है कि short-term में दो चीजें spending को boost कर सकती हैं:

  1. अच्छी फसल उत्पादन, जिससे rural demand बढ़ सकती है।
  2. हालिया budget में $12 billion की tax cuts, जिससे कुछ लोगों के पास ज्यादा पैसा आएगा।

लेकिन यह temporary solutions हैं। अगर structural बदलाव नहीं हुए, तो inequality बढ़ती ही जाएगी। हाल में सरकार ने बीमा क्षेत्र में FDI को बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया।

Exciting News For Former: 2025 में किसानों के लिए शॉर्ट टर्म लोन लेना हुआ आसान

Final Thoughts: असली प्रगति या सिर्फ एक भ्रम?

भारत की booming economy एक illusion है। सच तो ये है कि देश एक silent crisis से गुजर रहा है, जहां कुछ लोग अमीर होते जा रहे हैं, जबकि बाकी की हालत बिगड़ती जा रही है।

7+ Best PowerFull टिप्स: Credit Score कितना होना चाहिए और कैसे सुधारें?

अगर आप सोच रहे हैं कि आपकी salary inflation से कम क्यों हो रही है, या आपकी savings तेजी से खत्म क्यों हो रही हैं, तो जवाब साफ है—सिस्टम आपके लिए नहीं बना, बल्कि इसे इसी तरह design किया गया है।

Related Articles

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay connected with us

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles