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चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा डाला: डिलीवरी रोकी, 300+ फॉक्सकॉन इंजीनियर्स वापस बुलाए

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा डालने की रणनीति अपनाई है, जिसके तहत उसने इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) जैसे सेक्टर्स के लिए जरूरी मशीनों और पार्ट्स की डिलीवरी रोक दी है। इसके साथ ही, ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन, जो भारत में एपल के लिए आईफोन बनाती है, ने अपने 300 से अधिक चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को भारत से वापस बुलाने का निर्देश दिया है। ये कदम भारत की मेक इन इंडिया पहल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की प्रगति को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखे जा रहे हैं। इस लेख में हम इस मुद्दे के कारणों, प्रभावों, और भारत की जवाबी रणनीति पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा क्यों डाली?

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा क्यों डाली? फॉक्सकॉन और भारत में आईफोन प्रोडक्शन

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा डालने के लिए दो प्रमुख कदम उठाए हैं:

  1. जरूरी मशीनों और पार्ट्स की डिलीवरी रोकना: इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट्स और अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियों की आपूर्ति में देरी की जा रही है।
  2. चीनी इंजीनियर्स की वापसी: फॉक्सकॉन के 300+ चीनी इंजीनियर्स को भारत से वापस बुलाया गया है, जो प्रोडक्शन और क्वालिटी मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जियोपॉलिटिकल टेंशन का जवाब

सूत्रों के अनुसार, यह कदम भारत द्वारा चीनी कॉर्पोरेट कर्मचारियों को बिजनेस वीजा देने में सख्ती के जवाब में हो सकता है। भारत ने सुरक्षा चिंताओं के कारण चीनी नागरिकों के लिए वीजा नियमों को कड़ा किया है, जिसके जवाब में चीन ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को निशाना बनाया है। यह टिट-फॉर-टैट रणनीति भारत की तेजी से बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को कमजोर करने का प्रयास प्रतीत होती है।

रेयर अर्थ मैग्नेट्स की अहमियत

रेयर अर्थ मै Niedymium और डिस्प्रोसियम जैसे मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन्स, और विंड टर्बाइन्स के लिए आवश्यक हैं। चीन, जो इन सामग्रियों का वैश्विक स्तर पर 80% उत्पादन करता है, ने भारत को इनकी आपूर्ति रोक दी है। यह भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग योजनाओं के लिए बड़ा झटका है।

फॉक्सकॉन और भारत में आईफोन प्रोडक्शन

फॉक्सकॉन भारत में एपल के लिए आईफोन प्रोडक्शन का एक प्रमुख केंद्र है। तमिलनाडु और कर्नाटक में इसके प्लांट्स में हजारों कर्मचारी काम करते हैं। चीनी इंजीनियर्स, हालांकि कुल कर्मचारियों का 1% से भी कम हैं, हाई-एंड प्रोडक्शन और क्वालिटी कंट्रोल में विशेषज्ञता रखते हैं।

चीनी इंजीनियर्स की वापसी का प्रभाव

चीनी इंजीनियर्स की वापसी से निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:

  • प्रोडक्शन में देरी: अगली पीढ़ी के आईफोन 17 की तैयारी में रुकावट।
  • क्वालिटी मैनेजमेंट: गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने में चुनौतियां।
  • तकनीकी हस्तांतरण: नई तकनीकों का प्रशिक्षण प्रभावित।

भारत में आईफोन प्रोडक्शन की स्थिति

भारत ने 2020 में बड़े पैमाने पर आईफोन असेंबलिंग शुरू की थी। 2024 तक, भारत वैश्विक आईफोन उत्पादन का 25% हिस्सा बनाता है, जिसमें 14 बिलियन डॉलर मूल्य के आईफोन्स शामिल हैं। जनवरी-मई 2025 में, भारत ने 4.4 बिलियन डॉलर के आईफोन्स अमेरिका को निर्यात किए। ग्लोबल/ResourcX PostX

मेक इन इंडिया पर असर

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा डालकर मेक इन इंडिया पहल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। यह पहल भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए शुरू की गई थी।

एपल का भारत पर फोकस

एपल ने भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के लिए चुना है। इसके कारण हैं:

  • जियोपॉलिटिकल जोखिम: चीन-अमेरिका व्यापार तनाव और कोविड-19 जैसे संकटों ने एकल आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता को जोखिम भरा बनाया है।
  • कम लागत: भारत में लेबर लागत चीन की तुलना में कम है।
  • बढ़ता बाजार: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है।
  • सरकारी प्रोत्साहन: PLI योजना और मेक इन इंडिया ने निवेश को आकर्षित किया है।

भारत की जवाबी रणनीति

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा डालने की कोशिश की है, लेकिन भारत सरकार और निजी क्षेत्र इससे निपटने के लिए तैयार हैं।

प्रमुख कदम

  1. एंटी-डंपिंग शुल्क: भारत ने चीन और ताइवान से आयातित मशीनों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है।
  2. स्वदेशी तकनीक: टाटा और अडाणी समूह सेमीकंडक्टर और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में निवेश कर रहे हैं।
  3. कौशल विकास: फॉक्सकॉन और अन्य कंपनियां स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण दे रही हैं।
  4. वैकल्पिक आपूर्ति: ताइवान, जापान, और दक्षिण कोरिया के साथ साझेदारी बढ़ रही है।

उद्योग की प्रतिक्रिया

उद्योग सूत्रों ने बताया कि वे इस मुद्दे पर सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे। फॉक्सकॉन भारत में अपने संचालन को मजबूत करने के लिए 2.7 बिलियन डॉलर के नए प्लांट में निवेश कर रहा है।

भविष्य की राह और चुनौतियां

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा डालने की कोशिश की है, लेकिन भारत की दीर्घकालिक रणनीति इसे मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनाने की दिशा में है।

अवसर

  • वैश्विक साझेदारियां: ताइवान, जापान, और अमेरिका के साथ सहयोग से आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी।
  • निर्यात वृद्धि: 2024 में 12.8 बिलियन डॉलर के आईफोन्स निर्यात किए गए।
  • स्थानीय नवाचार: सेमीकंडक्टर और बैटरी प्लांट आत्मनिर्भरता को बढ़ाएंगे।

चुनौतियां

  • तकनीकी अंतर: हाई-एंड मैन्युफैक्चरिंग में विशेषज्ञता की कमी।
  • चीन पर निर्भरता: रेयर अर्थ मैग्नेट्स के लिए वैकल्पिक स्रोत की जरूरत।
  • जियोपॉलिटिकल जोखिम: भारत-चीन तनाव स्थिति को जटिल बना सकता है।

निष्कर्ष

चीन ने भारत पर मैन्युफैक्चरिंग में बाधा डालने की रणनीति अपनाई है, लेकिन भारत की मेक इन इंडिया पहल और रणनीतिक साझेदारियां इसे इन चुनौतियों से उबरने में सक्षम बनाएंगी। चीनी इंजीनियर्स की वापसी और मशीनों की डिलीवरी में देरी अल्पकालिक समस्याएं पैदा कर सकती हैं, लेकिन भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता और वैश्विक सहयोग इसे वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करेगा।

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