टैक्स ऑडिट की डेडलाइन को लेकर देशभर में मची उथल-पुथल के बीच राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। लेकिन क्या यह CBDT अधिसूचना वाकई करदाताओं और प्रोफेशनल्स के लिए गेम-चेंजर होगी, या फिर एक और सरकारी कागजी नाच?
InvestBuddy के अनुसार टैक्स बार एसोसिएशन की जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने 24 सितंबर 2025 को अंतरिम आदेश जारी कर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को टैक्स ऑडिट डेडलाइन को 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 करने का निर्देश दिया। यह फैसला इनकम टैक्स पोर्टल की खामियों और समय की कमी से जूझ रहे टैक्स प्रोफेशनल्स और कारोबारियों के लिए राहत की खबर है। लेकिन इस अधिसूचना का असर कितना गहरा होगा, आइए जानते हैं।
कोर्ट का आदेश: क्यों पड़ी जरूरत?
जोधपुर हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी और जस्टिस बिपिन गुप्ता शामिल थे, ने टैक्स ऑडिट डेडलाइन बढ़ाने का आदेश दिया। याचिका में बताया गया कि इनकम टैक्स पोर्टल की तकनीकी खामियां, जैसे लॉगिन में दिक्कत, धीमा सर्वर और यूटिलिटी में देरी, ने फाइलिंग को मुश्किल बना दिया। फॉर्म 3CD की यूटिलिटी 18 जुलाई को रिलीज हुई और 14 अगस्त को इसमें बड़े बदलाव किए गए। नतीजा? करदाताओं को 183 दिन की बजाय सिर्फ 47 दिन मिले, जो कानूनन अपर्याप्त है। 3 इसके अलावा, नवरात्र जैसे त्योहार और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने भी समय पर फाइलिंग में रुकावट डाली।
CBDT अधिसूचना का प्रभाव: क्या बदलेगा?
- करदाताओं को राहत:
इस डेडलाइन एक्सटेंशन से करीब 36 लाख ऑडिट रिपोर्ट्स, जो 30 सितंबर तक फाइल होनी थीं, अब एक महीने की अतिरिक्त मोहलत में पूरी हो सकेंगी। इससे बड़ी फर्मों, ट्रस्टों और व्यापारियों को अपने वित्तीय रिकॉर्ड्स व्यवस्थित करने का समय मिलेगा। 0 खासकर उन कारोबारियों को फायदा होगा, जो पोर्टल की गड़बड़ियों से परेशान थे। - प्रोफेशनल्स का बोझ कम:
टैक्स प्रोफेशनल्स, जो रात-दिन फाइलिंग में जुटे थे, अब बिना पेनल्टी के डर के काम कर सकेंगे। सेक्शन 271B के तहत 0.5% टर्नओवर या 1.5 लाख रुपये तक की पेनल्टी का जोखिम टल गया है। 2 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने इस फैसले को ‘सांस लेने की मोहलत’ बताया है। - राष्ट्रीय प्रभाव की संभावना:
हालांकि यह आदेश फिलहाल राजस्थान के लिए है, लेकिन टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरे देश में एकरूपता लाने के लिए CBDT को राष्ट्रव्यापी अधिसूचना जारी करने के लिए प्रेरित कर सकता है। 0 देश के अन्य शहरों में भी इसी तरह की याचिकाएं दायर हो चुकी हैं, और कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी 31 अक्टूबर तक डेडलाइन बढ़ाने का आदेश दिया है। 4
पोर्टल की खामियां: असल जड़
इस पूरे विवाद की जड़ आयकर विभाग का पोर्टल है, जिसकी खामियां बार-बार सुर्खियां बन रही हैं। लॉगिन फेल होना, धीमा सर्वर और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) तक पहुंचने में दिक्कत ने प्रोफेशनल्स की नींद उड़ा दी। फॉर्म 3CD में नए बदलावों ने भी ऑडिटरों का काम बढ़ाया। ICAI और अन्य टैक्स निकायों ने CBDT से दो महीने की मोहलत मांगी थी, लेकिन अब तक सिर्फ एक महीने की राहत मिली है। 7
व्यंग्य की नजर से: राहत या दिखावा?
यहां थोड़ा व्यंग्य बरबस आ ही जाता है। पहले पोर्टल की खामियां, फिर डेडलाइन का दबाव, और अब कोर्ट के आदेश पर अधिसूचना की उम्मीद। लगता है CBDT को हर साल एक ड्रामा चाहिए, जिसमें करदाता और प्रोफेशनल्स को भागते-हांफते देखकर शायद कोई मजे लेता हो। नवरात्र में जब लोग मां की भक्ति में डूबे हों, तब टैक्स ऑडिटर रात-रात भर लैपटॉप पर पसीना बहा रहे थे। अब 31 अक्टूबर तक की राहत से क्या सचमुच जिंदगी आसान होगी, या यह बस समय का टालमटोल है?
क्या होगा आगे?
CBDT को अब जल्द अधिसूचना जारी करनी होगी, लेकिन टैक्सपेयर्स को सलाह है कि वे आधिकारिक स्रोतों से अपडेट्स चेक करें। 2 सोशल मीडिया पर चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और कारोबारी इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन साथ ही मांग उठ रही है कि पोर्टल की खामियां दूर हों और भविष्य में ऐसी नौबत न आए। दिल्ली में ICAI मुख्यालय के बाहर हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने भी दिखाया कि प्रोफेशनल्स की नाराजगी कितनी गहरी है। 7
टैक्स ऑडिट डेडलाइन पर यह फैसला एक सांस की तरह है, लेकिन क्या यह स्थायी समाधान लाएगा? CBDT की अगली चाल और इसकी राष्ट्रव्यापी असर पर नजर रखने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।