दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी को मिली चुनौतियां, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा और महिला सुरक्षा में किए गए बेहतरीन कार्यों के कारण जनता का समर्थन अब भी बरकरार।
दिल्ली में फिर एक नई राजनीतिक तस्वीर
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा, लेकिन जनता के दिलों में अब भी अरविंद केजरीवाल के लिए जगह बनी हुई है। इस बार आप को 22 सीटें मिलीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 48 सीटों पर जीत हासिल हुई। हालांकि, वोट शेयर में मात्र 1.99% का अंतर यह बताता है कि दिल्ली की मेहनतकश जनता अभी भी AAP के कल्याणकारी कार्यों को महत्व देती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य: आम आदमी की सबसे बड़ी ताकत
AAP की सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो काम किए हैं, वे किसी से छिपे नहीं हैं। देश की राजधानी के सरकारी स्कूल आज देशभर में मिसाल बन चुके हैं। सरकारी स्कूलों में बेहतरीन सुविधाएं, प्रशिक्षित शिक्षक और आधुनिक क्लासरूम्स के कारण दिल्ली के लाखों गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को निजी स्कूलों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में मोहल्ला क्लीनिक एक क्रांतिकारी कदम रहा। गरीब से गरीब आदमी को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण इलाज मिला, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भारी असर नहीं पड़ा। बड़े अस्पतालों में मुफ्त टेस्ट और दवाइयों की व्यवस्था ने जनता का विश्वास और मजबूत किया।
बिजली और पानी: जनता की जेब पर राहत
बिजली और पानी के बिलों में कटौती ने आम जनता को बड़ी राहत दी। जहां देश के अन्य हिस्सों में बिजली के बढ़ते दाम लोगों को परेशान कर रहे थे, वहीं दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी गई। महिलाओं को डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा ने उनके आत्मनिर्भर बनने में सहायता की।
दिल्ली के मेहनतकश आवाम आज भी AAP के साथ
दिल्ली की मेहनतकश जनता, खासकर निम्न आय वर्ग और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग, आज भी केजरीवाल सरकार को समर्थन देते हैं। यह तबका शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, और महिला सुरक्षा के मामलों में AAP की नीतियों से सीधा लाभान्वित हुआ है।
तमाम निगेटिव फैक्टर के वावजूद इन सीटों पर मिली जीत ने यह बयां कर दिया कि आम आदमी में अब भी केजरीवाल का जलवा बरकरार हैं। यही कारण है कि 12 आरक्षित सीटों में से 8 सीटों पर AAP ने बम्पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी को महज 4 सीटों पर ही जीत नसीब हुई।
मध्यवर्ग में चुनौती, लेकिन निम्न वर्ग में मजबूती
चुनाव परिणामों से यह साफ है कि बीजेपी ने मध्यवर्ग में सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन निम्न और निम्न-मध्यम वर्ग में AAP का समर्थन बना रहा। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एमसीडी में AAP की सत्ता आने के बावजूद, स्थानीय स्तर पर अपेक्षित सुधार न होने के कारण मध्यम वर्ग में नाराजगी बढ़ी।
सोमनाथ भारती जैसे वरिष्ठ नेताओं ने स्वीकार किया कि एमसीडी में पूर्ण बहुमत आने के बाद भी नगर निगम के कार्यों में अपेक्षित बदलाव न आ पाने से कुछ वोटर नाखुश हुए। लेकिन निम्न वर्गीय तबके में पार्टी की पकड़ अब भी मजबूत है।
बीजेपी की रणनीति और केजरीवाल की चुनौती
बीजेपी ने इस बार चुनाव में दिल्ली के मध्यम वर्ग को साधने की पूरी कोशिश की। टैक्स छूट, महंगाई राहत और अन्य लोकलुभावन योजनाओं से यह वर्ग थोड़ा प्रभावित हुआ, लेकिन AAP की जनकल्याणकारी योजनाएं निम्न वर्ग के लिए अब भी सबसे अधिक लाभकारी साबित हो रही हैं।
वही लोगो का मानना है कि अगर AAP को 2025 के चुनाव में मिली हार के बाद भी मजबूती से खड़ा रहना है, तो उसे अपने पारंपरिक समर्थकों के साथ-साथ मध्यम वर्गीय परिवारों की समस्याओं को भी प्राथमिकता देना होगा।
महज 10 वर्षो में ही बन गई राष्ट्रीय पार्टी।
AAP का गठन 2 अक्टूबर 2012 को महात्मा गांधी जी की जयंती पर हुआ था। आंदोलन की कोख से जन्मी इस पार्टी ने अपने पहले चुनाव में ही अप्रत्याशित जीत दर्ज कर, देश की बड़ी-बड़ी पार्टी के नेताओं को चौका दिया। यह केजरीवाल का जलवा ही था महज 10 सालों में ही यह देश की राष्ट्रीय पार्टी बन गई।
निष्कर्ष: जनता के दिल में अब भी केजरीवाल की जगह बरकरार
असेम्बली इलेक्शन में हार के बाबजूद दिल्ली की इन 8 सीटों के नतीजों ने यह बता दिया है कि अरविंद केजरीवाल की योजनाओं का सीधा फायदा आम आदमी को हुआ है। दिल्ली की जनता, खासकर निम्न आय वर्ग, महिलाओं, छात्रों और मजदूरों के लिए AAP अब भी पहली पसंद बनी हुई है। हालांकि, पार्टी को अब मध्यवर्ग को दोबारा जोड़ने की रणनीति बनानी होगी।
AAP के पास अभी भी एमसीडी है ऐसे में विधानसभा चुनाव में हार के वावजूद बेहतर विपक्ष की भूमिका निभाते हुए जनता के बीच में पार्टी नेताओं को रहना होगा।
अगर एमसीडी (MCD) में जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरती है और अपने समर्थक वर्ग का और अधिक ध्यान रखती है, तो विधानसभा चुनाव में हुई हार के वावजूद उसकी स्थिति मजबूत बनी रह सकती है। क्योंकि दिल्ली का दिल अब भी आम आदमी पार्टी के साथ धड़कता है। बस एक नई ऊर्जा के साथ पार्टी नेताओं को उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है।