वीआईपी कल्चर ने आज तक न जाने कितनी जिंदगियां तबाह कर दी, फिर भी यह लगातार फल-फूल रहा है। हमीरपुर में इस वीआईपी कल्चर का ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसे देखने के बाद शायद ही कोई अपना आंसू रोक पाए।
🔥 कुंभ की भगदड़: “वीआईपी सुरक्षा” ने ली 30 मासूमों की जान
प्रयागराज के महाकुंभ में 30 तीर्थयात्रियों की मौत सिर्फ भीड़ नहीं, सरकारी बदइंतजामी का नतीजा थी। जब VIP आंदोलन के लिए रास्ते बंद किए गए, श्रद्धालु एक ही संकरे रास्ते पर धकेल दिए गए। बैरिकेड टूटा, भगदड़ मची, और लोग एक-दूसरे के पैरों तले कुचलकर मर गए । घटना के बाद सीएम योगी ने वीआईपी प्रोटोकॉल सीमित करने का ढोंग किया, लेकिन यूपी आज भी “राजाओं और रंकों” की सोच से जकड़ा है ।
😡 हमीरपुर का दर्द: एंबुलेंस रोकी, विधायक की गाड़ी को “ग्रीन कॉरिडोर”!
- सत्ता का नंगा नाच: यूपी के हमीरपुर में मरम्मत के लिए बंद पुल पर BJP विधायक मनोज प्रजापति की गाड़ी के लिए बैरिकेडिंग झट से हटा दी गई (सुबह 6:44 बजे)। जबकि उसी दिन सुबह 9:30 बजे एक एंबुलेंस (मजदूर की मां का शव लेकर जा रही) को रोक दिया गया ।
- बेटों का आंसूं भरा संघर्ष: पुलिस के इनकार के बाद बेटों ने मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर 1 किमी पैदल ढोया। विधायक ने बाद में झूठा बहाना दिया: “मैं कार में नहीं था, मेरे भाई की तबीयत खराब थी!” ।
💰 जनता का टैक्स, नेताओं का राज: आपके पैसे से ही चलता है “वीआईपी तंत्र”
- टैक्स का सच: आम लोगों के 12.75 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स माफ होता है , लेकिन उन्हीं के पैसे से नेताओं के लिए सुरक्षा कवच, ग्रीन कॉरिडोर और लक्ज़री कैंप चलते हैं।
- कुंभ का वीआईपी ठाठ: प्रयागराज में VIPs के लिए अलग घाट, हीटर वाले तंबू और नावों की सुविधा थी, जबकि आम श्रद्धालु गंदगी और ठंड में ठिठुरते रहे । एक महिला का सवाल: “नेता गाड़ी से सीधे घाट पर उतरते हैं, हम 35 किमी पैदल क्यों चलें?” ।
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📉 सरकारी झूठ का पर्दाफाश: “वीआईपी कल्चर बंद” केवल दिखावा!
- घोषणाएं vs हकीकत: कुंभ हादसे के बाद सीएम योगी ने वीआईपी प्रोटोकॉल सीमित करने का ऐलान किया, लेकिन घटना के 4 महीने बाद (जून 2025) भी नेता-अफसरों को खास सुविधाएं जारी हैं ।
- व्यवस्था की जड़ में गंदगी: प्रशासन का फोकस वीआईपी सुरक्षा पर इतना केंद्रित था कि पीने का पानी, मेडिकल कैंप और भीड़ नियंत्रण फेल हो गया। एक अधिकारी ने गुमनामी में स्वीकारा: “वीआईपी आवाजाही ने ही भगदड़ को ट्रिगर किया” ।
💔 सत्ता का नशा और “कीड़े-मकोड़े” बनी जनता
“जिस पुल पर नेता की कार को 2 मिनट में जाने दिया गया, उसी पर मां का शव स्ट्रेचर पर ढोया गया। यही है ‘नए भारत’ की वीआईपी संस्कृति!”
हमीरपुर से कुंभ तक, सरकारी तंत्र ने साबित कर दिया है कि आम आदमी की जान, भावनाएं और अधिकार सत्ता के लिए महज आंकड़े हैं। जब तक नेता-अफसर “राजा” बनकर रहेंगे और जनता को “भिखारी” समझेंगे, तब तक ऐसी त्रासदियाँ थमेंगी नहीं। जनता के टैक्स से पल रही यह व्यवस्था ही उसकी कब्र खोद रही है।
वीआईपी कल्चर पर विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने वीआईपी कल्चर पर जोरदार हमला करते हुए सोशल मीडिया के “एक्स” प्लेटफार्म पर लिखा है कि, यूपी के हमीरपुर में एक पुल की मरम्मत का काम चल चल रहा था। इस वजह से पुल को बंद कर दिया गया था और नो एंट्री का बोर्ड लगाकर बैरिकेडिंग लगा दी गई थी।
इसी दौरान एक BJP विधायक की गाड़ी वहां आकर रुक गई। धड़ाधड़ बैरिकेडिंग हटाई गई और उनकी गाड़ी को उस पुल से जाने दिया गया, जहां नो एंट्री का बोर्ड लगा था। लेकिन जब इसी बीच एक एंबुलेंस वहां आकर रुकी, तो उसे आगे जाने से रोक दिया गया। एंबुलेंस में एक महिला का शव था।
उनके बेटे अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे कि शव वाहन को जाने दिया जाए, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी।
आखिर में थक-हारकर बेटों ने मां के शव को स्ट्रेचर पर रखा और पैदल ही करीब एक किलोमीटर तक पुल पर चलते रहे।
ये घटना BJP की सरकारों में उस मानसिकता का सबूत है- जहां सत्ता के नशे में चूर नेता खुद को ‘राजा’ समझते हैं, उन्हें जनता के दुख-दर्द, परेशानियों से कोई फर्क नहीं पड़ता। कांग्रेस ने इस घटना को शर्मनाक बताया है।