जब भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर की आग भड़की, तो हम सबने सोचा कि अब दुनिया भारत का लोहा मानेगी। आतंकवाद के खिलाफ हमारा हवाई हमला, पाकिस्तानी एयरबेस की धज्जियाँ, और “मोदी सिद्धांत” का डंका—सब कुछ परफेक्ट था। लेकिन रुकिए! हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तो पहले ही पाकिस्तान को बता दिया था, “हम आपके आतंकी ठिकानों पर हमला करेंगे, तैयार रहो!” अरे भाई, यह युद्ध था या क्रिकेट का टॉस? और ऊपर से फ्रंट मीडिया ने गाजा-यूक्रेन के वीडियो चलाकर भारत की जग हंसाई करा दी। तो सवाल यह है—क्या हमारी विदेश नीति अब “डर के आगे जीत है” से “डर के आगे हंसी है” में बदल गई?
जयशंकर जी, यह सूचना लीक थी या डिप्लोमेसी?

X पर लोग चिल्ला रहे हैं कि जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान को “प्यार भरा मैसेज” भेजा कि हम आपके आतंकी ठिकानों को उड़ाने जा रहे हैं। अब इसे गद्दारी कहें या कूटनीति, लेकिन दुश्मन को पहले से खबर देने का यह अंदाज़ तो शोले के गब्बर को भी हैरान कर दे! क्या हमारी विदेश नीति अब “पहले बताओ, फिर मारो” हो गई है? पाकिस्तान ने तो इस मौके का फायदा उठाकर अपने ड्रोन और मिसाइलें तैयार कर लीं, और हमारी सेना को जवाबी कार्रवाई में जूझना पड़ा। जयशंकर साहब, अगली बार अगर टेलीग्राम पर मैसेज भेजना हो, तो पहले देश को तो बता दीजिए
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दुनिया ने सुना पाकिस्तान का राग, भारत का सन्नाटा
पाकिस्तान सालों से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को पाल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के अफसरों की मौजूदगी ने तो सारी पोल खोल दी। लेकिन विदेशी मंचों पर पाकिस्तानी मंत्री अताउल्लाह तरार “हम आतंकवाद के शिकार हैं” का राग अलापते रहे, और जयशंकर का जवाब? बस, “कश्मीर हमारा है, PoK खाली करो!” अरे, यह तो हम 75 साल से कह रहे हैं! दुनिया को यह बताने में हम क्यों चूक गए कि पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड पाकिस्तान था? अमेरिका, चीन, तुर्की, और 30 देशों ने युद्धविराम की तारीफ की, लेकिन भारत का खुला समर्थन किसी ने नहीं किया। क्या हमारी डिप्लोमेसी अब X के ट्रेंडिंग हैशटैग्स तक सिमट गई है?
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फ्रंट मीडिया की सनसनी, भारत की किरकिरी
हमारे फ्रंट मीडिया ने तो कमाल कर दिया! ऑपरेशन सिंदूर की “जबरदस्त जीत” दिखाने के लिए गाजा और यूक्रेन के पुराने वीडियो चलाए। AFP ने इनकी पोल खोल दी, और दुनिया भर में भारत की हंसी उड़ी। भड़ास4मीडिया की तरह अगर हम भी कहें, तो यह मीडिया नहीं, सनसनी का सर्कस है! एक चैनल ने तो दावा किया कि भारत ने पाकिस्तान के आधे एयरबेस उड़ा दिए। अरे, इतना तो हमारा डिफेंस सिस्टम भी नहीं कह रहा! अगर सच दिखाने की हिम्मत नहीं, तो कम से कम झूठ तो मत फैलाओ, भाई
विदेश नीति या विदेश में मज़ाक?
जयशंकर की आक्रामक डिप्लोमेसी की तारीफ होती थी, लेकिन इस बार क्वॉड जैसे सहयोगी भी चुप रहे। ट्रंप ने तो भारत-पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौल दिया, जैसे हम भी आतंकवाद के पोषक हों! पाकिस्तान ने अपने झूठे नैरेटिव को विदेशी मीडिया में बेचा, और हम बस “मोदी सिद्धांत” का ढोल पीटते रहे। सवाल यह है—क्या हमारी विदेश नीति अब सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्वीट्स तक सिमट गई है? अगर दुनिया को सच बताने में हम नाकाम रहे, तो फिर “सब चंगा सी” कैसे?
क्या करें अब?
- सच को चिल्लाएं: विदेश मंत्रालय को चाहिए कि पाकिस्तान की आतंकवाद नीति को हर मंच पर बेनकाब करे। सबूत हैं, तो दिखाएं—जैसे आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी।
- मीडिया को सुधारें: फ्रंट मीडिया को सनसनी छोड़कर तथ्य दिखाने होंगे। भड़ास4मीडिया की तरह, सच को तीखे अंदाज़ में पेश करें, लेकिन झूठ से बचें।
- कूटनीति में जोश: जयशंकर जी, थोड़ा और जोश लाइए! अगर पाकिस्तान झूठ बेच सकता है, तो हम सच क्यों नहीं?
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने आतंकवाद को करारा जवाब दिया, लेकिन विदेश नीति में हम चूक गए। जयशंकर जी, आपकी बेबाकी तो ठीक है, लेकिन दुनिया को हमारा पक्ष समझाने में थोड़ा और ज़ोर लगाइए। और फ्रंट मीडिया, कृपया गाजा के वीडियो छोड़कर भारत की ताकत दिखाइए! smartkhabari.com पर हम यही कहते हैं—सच को तंज के साथ बोलो, लेकिन बोलो ज़रूर!
क्या आप भी मानते हैं कि हमारी विदेश नीति को और तीखा करना चाहिए? कमेंट में बताएं!