नई दिल्ली 02 सितम्बर: कल्पना कीजिए, एक अमेरिकी सलाहकार जो भारत को ‘रूस की धुलाई मशीन’ बता दे और ब्राह्मणों को रूसी तेल से मुनाफा कमाने का दोषी ठहरा दे – ये कोई फिल्मी डायलॉग नहीं, बल्कि ट्रम्प के करीबी पीटर नवारो की असली जुबान है। पीटर नवारो ब्राह्मण रूसी तेल आरोप की ये घटना अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा रही है, जहां नवारो ने कहा कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहा है, और इसका फायदा ‘ब्राह्मण’ उठा रहे हैं, जबकि पूरा देश टैरिफ की मार झेल रहा है। मैंने खुद उनके इंटरव्यू और भारतीय नेताओं के बयानों का जायजा लिया, तो लगा जैसे अमेरिकी चुनाव से पहले भारत को निशाना बनाया जा रहा है।
नवारो का हमला: ब्राह्मणों पर मुनाफाखोरी का इल्जाम
पीटर नवारो ब्राह्मण रूसी तेल आरोप की शुरुआत ब्लूमबर्ग टीवी के इंटरव्यू से हुई, जहां उन्होंने भारत को ‘रूस की लॉन्ड्रोमैट’ कहा। उनका दावा है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और महंगे दामों पर बेचता है, जिससे रूस को युद्ध के लिए पैसा मिलता है। नवारो ने कहा, “भारत के ब्राह्मण इस तेल से मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन कीमत पूरा भारत चुका रहा है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो अमेरिका 25% टैरिफ हटा लेगा। 2 नवारो ने भारत-रूस-चीन के गठजोड़ को अमेरिका के लिए खतरा बताया और कहा, “भारत तानाशाहों के साथ मिल रहा है, चीन ने अक्साई चिन कब्जा लिया, रूस दोस्त नहीं।” ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में नवारो ने व्यापार नीतियां बनाईं, और अब वे ट्रम्प की आर्थिक टीम के किंगपिन हैं। लेकिन ये बयान भारत में जातीय विभाजन की कोशिश लगता है, क्योंकि ‘ब्राह्मण’ शब्द को उन्होंने अमीर वर्ग के लिए इस्तेमाल किया, जो अमेरिकी संदर्भ में ‘बोस्टन ब्राह्मण’ जैसा है। 7
भारतीय नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया: ‘निराधार और पूर्वाग्रही’
इस बयान पर भारत में सियासी बवाल मच गया। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “अमेरिका को ऐसे निराधार बयान नहीं देने चाहिए, ये हमारे आंतरिक मामलों में दखल है।” तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने ट्वीट किया कि ‘ब्राह्मण’ शब्द का इस्तेमाल अंग्रेजी में अमीरों के लिए होता है, लेकिन ये बयान नवारो की अज्ञानता दिखाता है। 3 पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “ये बयान अमेरिका में भारत के प्रति पूर्वाग्रहों को दर्शाता है, जो 19वीं सदी के औपनिवेशिक लेखकों की विरासत है।” 2 विपक्ष का कहना है कि ये अमेरिकी चुनाव से पहले का दबाव है, जहां ट्रम्प भारत पर 50% टैरिफ लगा चुके हैं। लेकिन भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखी है, क्योंकि ये ऊर्जा सुरक्षा का मामला है।
नवारो का बैकग्राउंड: डेमोक्रेट से ट्रम्प का दाहिना हाथ
पीटर नवारो ब्राह्मण रूसी तेल आरोप से पहले भी विवादों में रहे हैं। 2016 में ट्रम्प से जुड़ने से पहले वे डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए काम करते थे, बिल क्लिंटन और ओबामा के अनौपचारिक सलाहकार थे। 8 1984 में उन्होंने ग्लोबलाइजेशन की तारीफ की किताब लिखी, लेकिन ट्रम्प के साथ आने पर चीन और खुले व्यापार की आलोचना शुरू कर दी। नवारो अमेरिका की पुरानी औद्योगिक ताकत की बात करते हैं और WTO में चीन के शामिल होने को ‘सर्वनाश’ मानते हैं। 8 ट्रम्प उन्हें अपना सबसे करीबी सलाहकार मानते हैं, और उनकी नीतियां अमेरिका फर्स्ट पर आधारित हैं। लेकिन ये बयान भारत-अमेरिका संबंधों को चोट पहुंचा सकता है, जहां ट्रम्प ने पहले रूस-यूक्रेन जंग को ‘मोदी की जंग’ कहा था।
भारत की स्थिति: टैरिफ और रूसी तेल का संतुलन
भारत रूस से 17.8 लाख बैरल तेल रोजाना खरीद रहा है, जो 2025 में जनवरी से जुलाई तक का आंकड़ा है। ये सस्ता तेल भारत की अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करता है, लेकिन अमेरिका इसे यूक्रेन युद्ध की फंडिंग मानता है। ट्रम्प ने 50% टैरिफ लगा दिया, लेकिन भारत ने जवाब में कहा कि ये ऊर्जा जरूरत है। 5 विशेषज्ञों का कहना है कि नवारो का बयान अमेरिकी चुनावी रणनीति है, जहां भारत को निशाना बनाकर ट्रम्प वोटर्स को लुभाया जा रहा है। लेकिन भारत अब यूरोप और अफ्रीका जैसे नए बाजारों पर फोकस कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय असर: गठजोड़ और खतरा
नवारो ने भारत-रूस-चीन के संबंधों को दुनिया के लिए खतरा बताया, लेकिन भारत का कहना है कि ये बहुपक्षीय外交 है। अक्साई चिन का जिक्र करके उन्होंने पुराने घाव कुरेदे, लेकिन भारत ने मजबूती से जवाब दिया। ये विवाद ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की झलक देता है, जहां अमेरिका फर्स्ट की नीति भारत को प्रभावित कर सकती है।
ये बयान हमें सोचने पर मजबूर करता है कि वैश्विक राजनीति में शब्द कितने घातक हो सकते हैं। अगर आप भी इस पर राय रखते हैं, तो क्या अमेरिका को ऐसे बयान देने का हक है? कमेंट्स में जरूर शेयर करें, और ऐसी अंतरराष्ट्रीय खबरों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें – क्योंकि दुनिया की सच्चाई जानना आपका हक है।