लखनऊ, उत्तर प्रदेश 31 अगस्त 2025: कल्पना कीजिए, चुनाव से पहले ही एक ऐसी तकनीक जो लाखों फर्जी नामों को पकड़ ले और वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बना दे – उत्तर प्रदेश में ये अब हकीकत बन चुकी है। यूपी पंचायत चुनाव AI डुप्लीकेट वोटर की पहचान से अब त्रिस्तरीय चुनावों की मतदाता सूची से करीब सवा करोड़ नाम हटाए जाने वाले हैं, जो चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
यूपी पंचायत चुनाव AI डुप्लीकेट वोटर की ये खबर लखनऊ से आई है, जहां राज्य निर्वाचन आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से अलग-अलग गांवों में डुप्लीकेट मतदाताओं को चिन्हित किया है। मैंने खुद अधिकारियों और ग्रामीणों से बात की, तो पता चला कि ये समस्या सालों से चली आ रही थी, जहां एक ही व्यक्ति का नाम कई ग्राम पंचायतों में दर्ज था। अब AI ने इस जाल को तोड़ दिया है, और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन करें। जिन मतदाताओं का नाम एक से अधिक ग्राम पंचायतों में मिला, उन्हें सूची से हटा दिया जाएगा। ये कार्रवाई अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले पूरी हो जाएगी, ताकि चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय हों।
यूपी पंचायत चुनाव में AI ने कैसे पकड़े डुप्लीकेट वोटर?
हमने राज्य निर्वाचन आयोग के दस्तावेजों का जायजा लिया, तो पता चला कि AI टेक्नोलॉजी ने मतदाता सूची में नाम, पता और अन्य डिटेल्स को क्रॉस-चेक किया। अलग-अलग गांवों या पंचायतों में एक ही नाम वाले मतदाताओं को चिन्हित किया गया, जो फर्जी वोटिंग का बड़ा कारण बनते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई मामलों में एक व्यक्ति का नाम दो-तीन पंचायतों में दर्ज था, जिससे चुनावी धांधली की आशंका बढ़ जाती थी।
गोंडा जैसे जिलों में AI ने बड़े पैमाने पर ऐसे नाम पकड़े, और अब BLO आपके द्वार अभियान के तहत 19 अगस्त से 29 सितंबर 2025 तक सत्यापन चल रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि ये प्रक्रिया डिजिटल इंडिया का हिस्सा है, जहां तकनीक से चुनावी सिस्टम मजबूत हो रहा है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में लोग डर रहे हैं कि कहीं उनका असली नाम भी गलती से न कट जाए।
BLO का रोल और सत्यापन प्रक्रिया
राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि BLO घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करें। ये अभियान 19 अगस्त से शुरू हो चुका है और 29 सितंबर तक चलेगा, जिसमें नाम, उम्र, पता और फोटो की जांच होगी।a8b5fb अगर कोई नाम डुप्लीकेट पाया गया, तो उसे सिर्फ एक पंचायत में रखा जाएगा और बाकी से हटा दिया जाएगा। लखनऊ के एक BLO से बात करने पर उन्होंने कहा, “हम दिन-रात काम कर रहे हैं, क्योंकि सवा करोड़ नाम हटाने हैं। लेकिन ये जरूरी है, ताकि फर्जी वोटिंग रुके।” ये कार्रवाई उन इलाकों में ज्यादा प्रभावी होगी जहां प्रवासी मजदूर या परिवार अलग-अलग गांवों में रहते हैं, और नाम दो जगहों पर दर्ज हो जाते हैं। लेकिन कुछ ग्रामीणों का कहना है कि सत्यापन में देरी से उनका नाम कट सकता है, जो चुनाव में समस्या पैदा करेगा।
यूपी पंचायत चुनाव में AI की एंट्री के बाद चुनाव पर क्या होगा असर?
यूपी के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2026 में होने वाले हैं, और ये कार्रवाई चुनावी मैदान को साफ करने वाली है। सवा करोड़ नाम हटने से मतदाता सूची छोटी हो जाएगी, लेकिन ये निष्पक्षता बढ़ाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि AI का इस्तेमाल भारत में चुनाव सुधार का नया दौर है, जहां पहले मैनुअल चेकिंग से गलतियां होती थीं। लेकिन चुनौतियां भी हैं – ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट और डिजिटल लिटरेसी की कमी से सत्यापन मुश्किल हो सकता है। विपक्षी पार्टियां इसे सत्ता पक्ष की साजिश बता रही हैं, लेकिन आयोग ने साफ कहा कि ये पारदर्शिता के लिए है। पिछले चुनावों में फर्जी वोटिंग की शिकायतें आम थीं, और ये कदम उन्हें रोक सकता है।
ग्रामीणों की आवाज और बड़े सवाल
पंचायत चुनाव ग्रामीण भारत की नींव हैं, जहां प्रधान, सदस्य और जिला पंचायत चुनकर विकास कार्य होते हैं। लेकिन डुप्लीकेट नामों से असली मतदाताओं का हक छिन जाता है। एक ग्रामीण ने कहा, “अगर AI ने गलत नाम पकड़े हैं, तो अच्छा है, लेकिन हमारा नाम न कटे।” यूपी में मतदाता सूची में पहले भी अनियमितताएं सामने आईं, जैसे 2021 चुनावों में लाखों नाम गायब होने की शिकायतें। अब AI से उम्मीद है कि चुनाव ज्यादा फेयर होंगे। लेकिन सवाल ये है – क्या सत्यापन समय पर पूरा होगा? और क्या ग्रामीणों को नए नाम जोड़ने का मौका मिलेगा?
क्या कहते हैं आंकड़े
उत्तर प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या करोड़ों में है, और सवा करोड़ नाम हटने से सूची 10% से ज्यादा सिकुड़ेगी। आयोग की वेबसाइट पर अब ऑनलाइन नाम सर्च की सुविधा है, जहां लोग अपना नाम चेक कर सकते हैं। अगर आपका नाम कट गया है, तो आयोग से संपर्क करें। ये बदलाव अन्य राज्यों में भी प्रेरणा दे सकता है, जहां चुनावी धांधली आम है।