देवरिया (उत्तर प्रदेश) 31 अगस्त: देवरिया ज़िलें के ग्राम पंचायत पिड़रा में जल जीवन मिशन की कलई खुल गई है। यहां दूर से दिखाई देती पानी की टंकी एक धोखा है क्योंकि इस पानी का निर्माण केवल देखने, दिखाने और फ़ोटो खिंचने के लिए किया गया है आज तक गांव के किसी भी घर मे इस पानी की टंकी से एक बूंद भी पानी की सप्लाई नही हुई है। यह कहना है पिड़रा गांव के रहने वाले मंतोष तिवारी का। गांव के बृजेश सिंह कहते है कि, पिड़रा में जल जीवन मिशन एक धोखा है महज फ़ोटो खिंचने के लिए यहाँ पानी की टंकी का निर्माण हुआ है। गांव की 4500 की आबादी गंदा और दूषित पानी पीने को मजबूर है।
पिड़रा में जल जीवन मिशन की पोल खोलती पढ़े यह रिपोर्ट..
कल्पना कीजिए, एक गांव जहां सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से नल लगे हैं, लेकिन उनसे निकल रहा है पीला-गंदा पानी, जो सेहत की दुश्मन बन चुका है। देवरिया के पिडरा ग्राम पंचायत में ये हकीकत अब ग्रामीणों के सब्र का इम्तिहान ले रही है, और जल जीवन मिशन यहां सिर्फ कागजों तक सिमटकर रह गया है।
पिड़रा में जल जीवन मिशन के अधूरे कार्य और गंदे पानी की ये समस्या रुद्रपुर ब्लॉक के इस गांव में सालों से चली आ रही है, जहां लोग दूषित पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं और जलजनित बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
हमने खुद गांव पहुंचकर ग्रामीणों से बात की, तो पता चला कि केंद्र सरकार की हर घर जल योजना के तहत पानी की टंकी का निर्माण तो कई साल पहले हो गया, लेकिन पाइपलाइन बिछाने और घरों तक कनेक्शन देने का काम आज तक शुरू नहीं हुआ। नतीजा ये कि हैंडपंप और पुराने कुओं से निकलने वाला पानी पीला, बदबूदार और कीचड़ भरा है, जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को बीमार कर रहा है।
गांव के एक ग्रामीण ने दुखी होकर कहा, “साहब, योजना आई तो उम्मीद जगी, लेकिन अब तो वो टंकी बस देखने की चीज बन गई है।” ये स्थिति न सिर्फ पिडरा में है, बल्कि देवरिया के कई गांवों में ऐसी ही हालत है, जहां योजना का लाभ पहुंचने में देरी हो रही है।
पिड़रा ग्राम पंचायत की हकीकत: गंदे पानी का दर्द
पिडरा ग्राम पंचायत की आबादी साढ़े चार हज़ार से अधिक है, और ज्यादातर किसान या मजदूर हैं। हमने गांव की गलियों में घूमकर देखा, तो हर घर में एक ही शिकायत – नलों से आने वाला पानी इतना गंदा कि चाय बनाओ तो स्वाद खराब, पीओ तो पेट दर्द।
एक महिला ने बताया कि उनके बच्चे अक्सर डायरिया और पेट की समस्या से जूझते हैं, क्योंकि विकल्प ही नहीं है। जल जीवन मिशन की शुरुआत 2019 में हुई थी, जिसका मकसद 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से सुरक्षित पेयजल पहुंचाना था। उत्तर प्रदेश में ये योजना काफी आगे बढ़ी है, जहां अब तक लाखों घरों तक कनेक्शन पहुंच चुके हैं, लेकिन देवरिया जैसे जिलों में कई जगहों पर ठेकेदारों की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता से काम अटका पड़ा है।
पिडरा में टंकी बनने के बाद बजट की कमी या ठेकेदार की अनदेखी से पाइपलाइन नहीं बिछी, और अब बारिश में तो हालत और खराब – पानी में कीचड़ मिलकर और दूषित हो जाता है।
जलजनित बीमारियां: एक चुप्पी का संकट
ग्रामीणों का कहना है कि गंदे पानी से डेंगू, टाइफाइड और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां फैल रही हैं। गांव की एक बुजुर्ग महिला ने रोते हुए कहा, “हमारे गांव में डॉक्टर दूर है, और दवा महंगी। ये पानी हमें मार रहा है।” देवरिया जनपद में जल जीवन मिशन के तहत कई गांवों जैसे भूरी पाकड़ और जोगिया बुजुर्ग में भी ऐसी ही शिकायतें आई हैं, जहां हैंडपंप से निकलने वाला पानी पीला और बदबूदार होता है, और लोग जलजनित रोगों से प्रभावित हो रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि जिले में पिछले साल जलजनित बीमारियों के केस 20% बढ़े हैं, और ग्रामीण इलाकों में ये समस्या ज्यादा गंभीर है। पिडरा में ग्राम प्रधान मनोज कुमार सिंह दुःखी होकर कहा कि, उन्होंने कई बार ब्लॉक और जिला प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन जवाब मिलता है – काम जल्द होगा। लेकिन ‘जल्द’ अब सालों में बदल चुका है।
मनोज सिंह का मानना है कि ये सिर्फ पानी की समस्या नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन का संकट है।
योजना की हकीकत: कागजों पर सफल, जमीनी स्तर पर फेल
जल जीवन मिशन उत्तर प्रदेश में बड़ी सफलता का दावा कर रहा है, जहां देवरिया जिले में 3.92 लाख घरों तक नल पहुंचाने का लक्ष्य था। लेकिन पिडरा जैसे गांवों में ये दावा खोखला साबित हो रहा है। टंकी का निर्माण तो हो गया, लेकिन पाइपलाइन बिछाने में घटिया सामग्री या बजट की कमी का बहाना बनाकर काम रोका गया।
ठेकेदारों पर आरोप है कि वे आधा काम करके गायब हो जाते हैं, और प्रशासन की निगरानी कमजोर है। जोगिया बुजुर्ग में भी चार साल पहले टंकी बनी, लेकिन आज तक एक घर में पानी नहीं पहुंचा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना की समीक्षा में तेजी के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन में कमी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में कम्युनिटी मॉनिटरिंग बढ़ानी चाहिए, ताकि ग्रामीण खुद काम की निगरानी कर सकें।
प्रशासन का पक्ष और ग्रामीणों की मांग
रुद्रपुर ब्लॉक के अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने कहा कि पिडरा में काम जल्द पूरा होगा, और बजट जारी हो चुका है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ये वादे हवा में उड़ जाते हैं। गांव के लोग अब आंदोलन की बात कर रहे हैं, और कहते हैं कि अगर पाइपलाइन नहीं बिछी तो सड़क पर उतरेंगे। देवरिया में ऐसी कई शिकायतें हैं, जहां करोड़ों खर्च के बाद भी शुद्ध पानी नहीं मिल रहा। अगर प्रशासन सक्रिय हो तो ये समस्या हल हो सकती है, लेकिन देरी से लोगों का विश्वास टूट रहा है।
क्या कहते हैं आंकड़े और ट्रेंड
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन से 15 करोड़ से ज्यादा घरों तक टैप वॉटर पहुंचा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पानी की किल्लत अब भी बनी हुई है। देवरिया जैसे जिलों में योजना की प्रगति धीमी है, और गंदे पानी से सालाना हजारों बीमार पड़ते हैं। अगर ठेकेदारों पर सख्ती हो तो ऐसी समस्याएं कम हो सकती हैं।
पिड़रा ग्राम पंचायत में क्रमशः पिड़रा, पिड़री, गौनरिया, ताल कोल्हुआ गांव आते है। इन गांव में जाकर जब पड़ताल की गई तो पता चला इस ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले किसी भी गांव में जल जीवन मिशन योजना का लाभ किसी को नही मिल रहा है बगल के मांगा कोडर, जोगिया बुज़ुर्ग सहित दर्जनों गांव की स्थिति यही है।