रूस के कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार सुबह धरती कांप उठी। दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूकंप ने न केवल रूस बल्कि जापान, हवाई और कई देशों को दहशत में डाल दिया।
रूस में भूकंप का कहर: कामचटका में 8.8 तीव्रता, सुनामी ने मचाई तबाही
बुधवार सुबह 4:54 बजे (भारतीय समयानुसार), रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचटका प्रायद्वीप में रिक्टर स्केल पर 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया। यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसने प्रशांत महासागर में 4 मीटर ऊंची सुनामी लहरें पैदा कीं, जिसने तटीय इलाकों में भारी तबाही मचाई। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र समुद्र तल से 19.3 किलोमीटर की गहराई पर था। इस प्राकृतिक आपदा ने रूस, जापान, हवाई, कैलिफोर्निया और भारत समेत कई देशों को हाई अलर्ट पर ला दिया है।
कामचटका में भूकंप: दशकों का सबसे बड़ा झटका
कामचटका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोदोव ने एक वीडियो संदेश में कहा, “यह भूकंप दशकों में सबसे शक्तिशाली है।” उन्होंने बताया कि भूकंप के झटकों से पेट्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की शहर में कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है। एक किंडरगार्टन स्कूल की इमारत को भी गंभीर क्षति हुई है। सड़कों पर कारें लहराने लगीं, घरों में अलमारियां गिरीं, और बिजली व मोबाइल सेवाएं ठप हो गईं। स्थानीय लोग दहशत में सड़कों पर निकल आए, कई बिना जूते या गर्म कपड़ों के ही घरों से भागे।
रूस का कामचटका प्रायद्वीप प्रशांत रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, जो भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों के लिए कुख्यात है। 1952 में भी इस क्षेत्र में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने हवाई तक तबाही मचाई थी। इस बार का भूकंप उससे थोड़ा कम तीव्र था, लेकिन इसका प्रभाव व्यापक है।
सुनामी का खतरा: जापान में हाई अलर्ट
जापान, जो पहले ही 2011 के तोहोकू भूकंप और सुनामी की त्रासदी झेल चुका है, इस बार फिर सतर्क हो गया है। जापान की मौसम एजेंसी ने होक्काइडो और होन्शू के तटीय इलाकों के लिए सुनामी चेतावनी जारी की है। NHK टेलीविजन के मुताबिक, जापान के पूर्वी तट पर 40 सेंटीमीटर ऊंची सुनामी लहरें पहले ही पहुंच चुकी हैं। करीब 20 लाख लोगों को तटीय क्षेत्रों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
खास बात यह है कि जापान ने अपने फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को खाली करा लिया है। 2011 में आए 9.1 तीव्रता के भूकंप और सुनामी ने फुकुशिमा में भारी तबाही मचाई थी, जिसके बाद परमाणु रिसाव का खतरा पैदा हुआ था। इस बार जापान कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। मौसम एजेंसी ने चेतावनी दी है कि सुनामी लहरें एक से ज्यादा दिन तक आ सकती हैं, जिसके चलते लोगों को समुद्र तटों और नदियों के किनारे से दूर रहने को कहा गया है।
हवाई और कैलिफोर्निया में सुनामी का डर
अमेरिका के हवाई द्वीपसमूह में भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। नेशनल सुनामी वॉर्निंग सेंटर ने अनुमान लगाया है कि हवाई में 3 से 10 फीट ऊंची लहरें पहुंच सकती हैं। स्थानीय समयानुसार शाम 7:17 बजे पहली लहर के पहुंचने की आशंका है। हिलो हवाई अड्डे पर उड़ानें रद्द कर दी गई हैं, और डिज्नी रिसॉर्ट जैसे होटलों ने मेहमानों को ऊपरी मंजिलों पर शिफ्ट किया है।
कैलिफोर्निया में भी तटीय इलाकों में हाई अलर्ट है। केप मेंडोसीनो से ओरेगन सीमा तक 2 से 5 फीट ऊंची लहरों की आशंका जताई गई है। लॉस एंजेलेस में तड़के 1 बजे सार्वजनिक सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया, जिसमें लोगों को समुद्र तटों से दूर रहने की सलाह दी गई।
भारत पर असर: अंडमान-निकोबार में सतर्कता
भारत सरकार भी इस प्राकृतिक आपदा को लेकर अलर्ट मोड में है। सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने कैलिफोर्निया, हवाई और अन्य पश्चिमी तटीय राज्यों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। खास तौर पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सुनामी का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि यह क्षेत्र प्रशांत महासागर से सटा हुआ है। 2004 के सुमात्रा भूकंप और सुनामी ने अंडमान-निकोबार में भारी तबाही मचाई थी, और इस बार भी सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने तटीय इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है और स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है। हालांकि, अभी तक भारत में सुनामी लहरों के पहुंचने की कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 24 घंटे महत्वपूर्ण हैं।
अन्य देशों में भी हाई अलर्ट
इस भूकंप का असर सिर्फ रूस, जापान और अमेरिका तक सीमित नहीं है। चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, पेरू और मेक्सिको ने भी अपने तटीय इलाकों में सुनामी चेतावनी जारी की है। इन देशों में 1 से 3 मीटर ऊंची लहरों की आशंका जताई गई है। खासकर इंडोनेशिया और फिलीपींस, जो रिंग ऑफ फायर का हिस्सा हैं, पहले भी सुनामी की चपेट में आ चुके हैं। इन देशों ने तटीय क्षेत्रों से लोगों को हटाना शुरू कर दिया है।
भूकंप और सुनामी का वैज्ञानिक पहलू
कामचटका प्रायद्वीप प्रशांत और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन बिंदु पर स्थित है। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, तो भारी दबाव बनता है, जो भूकंप का कारण बनता है। इस बार भूकंप की गहराई 19.3 किलोमीटर थी, जो इसे और भी खतरनाक बनाता है, क्योंकि उथले भूकंप समुद्र में ज्यादा हलचल पैदा करते हैं।
टोक्यो विश्वविद्यालय के भूकंपविज्ञानी शिनिची सकाई ने NHK को बताया, “उथले भूकंप दूर-दराज के क्षेत्रों में भी सुनामी पैदा कर सकते हैं।” यही वजह है कि इस भूकंप का असर हजारों किलोमीटर दूर तक देखा जा रहा है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: पहले भी कामचटका रहा है केंद्र
कामचटका का इतिहास भूकंपों से भरा पड़ा है। 1952 में आए 9.0 तीव्रता के भूकंप ने हवाई में 9.1 मीटर ऊंची लहरें पैदा की थीं। 1960 में चिली में आए 9.5 तीव्रता के भूकंप को अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है, जिसमें 1,655 लोग मारे गए थे। 2011 में जापान के तोहोकू भूकंप (9.1 तीव्रता) ने 15,000 से ज्यादा लोगों की जान ली थी।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
पेट्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की के एक निवासी ने रूस की TASS समाचार एजेंसी को बताया, “सब कुछ अचानक हिलने लगा। मैंने पहले कभी ऐसा नहीं देखा। हम डर के मारे सड़क पर भागे।” एक अन्य निवासी ने कहा, “हमारी बिल्डिंग की बालकनी हिल रही थी, और शीशे टूट गए।”
आगे क्या?
यह भूकंप और सुनामी न केवल रूस बल्कि पूरे प्रशांत क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ घंटे और दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। सुनामी की लहरें बार-बार आ सकती हैं, और उनके प्रभाव का आकलन अभी बाकी है। रूस, जापान और अमेरिका में राहत और बचाव कार्य तेजी से शुरू हो चुके हैं। भारत में भी अंडमान-निकोबार में सतर्कता बरती जा रही है।
आप क्या करें?
यदि आप तटीय क्षेत्र में रहते हैं, तो स्थानीय प्रशासन की चेतावनियों का पालन करें। समुद्र तटों और नदियों के किनारे से दूर रहें। आपातकालीन किट तैयार रखें और आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। यह समय सतर्कता और एकजुटता का है।
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