अंधविश्वास की आग में जल रही जिंदगियां! आजमगढ़ में तांत्रिक की क्रूरता ने हद पार कर दी। यहां झाड़-फूंक के नाम पर तांत्रिक ने एक महिला को बेरहमी से मार डाला, तो बिहार के पूर्णिया में डायन के शक में एक परिवार के पांच लोगों को जिंदा जला दिया गया। ये घटनाएं समाज के लिए खतरे की घंटी हैं।
तांत्रिक की क्रूरता ने ली अनुराधा की जान।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पहलवानपुर गांव में अंधविश्वास ने एक और जान ले ली। 34 वर्षीय अनुराधा को तांत्रिक चंदू ने झाड़-फूंक के बहाने इतना प्रताड़ित किया कि उसकी मौत हो गई। गला दबाने, बाल खींचने और शौचालय का गंदा पानी पिलाने जैसी क्रूरता के बाद अनुराधा की हालत बिगड़ी, और अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया।
घटना का विवरण: तांत्रिक की क्रूरता ने अमानवीयता की हद पार की।
मिली जानकारी के अनुसार, अनुराधा यादव की शादी 2014 में तहबरपुर के रणधीर के साथ हुई थी। संतान न होने के कारण वह परेशान थी। एक महीने पहले मायके आने पर उसे तांत्रिक चंदू के बारे में पता चला। चंदू ने एक लाख रुपये में “इलाज” का ठेका लिया, जिसमें से 22,000 रुपये एडवांस लिए। रविवार को अनुराधा अपनी मां दुलारी के साथ चंदू के पास गई। वहां चंदू, उसकी पत्नी शबनम और दो सहयोगियों ने अनुराधा को बेरहमी से पीटा, गला दबाया और गंदा पानी पिलाया। विरोध करने पर चंदू ने कहा, “बड़ा साया है, यही उपाय है।” अनुराधा की हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित किया गया।
हंगामे के बाद क्रूर तांत्रिक ने किया सरेंडर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनुराधा की मौत के बाद तांत्रिक चंदू शव छोड़कर मौके से फरार हो गया। परिजनों ने रविवार रात उसके घर के सामने शव रखकर हंगामा किया। पुलिस ने भारी बल तैनात कर स्थिति नियंत्रित की। सोमवार को चंदू ने थाने में सरेंडर किया, और उसके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।
पूर्णिया जिले में डायन के शक में एक परिवार के पांच लोगो को जिंदा जलाया।
बिहार के पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव में रविवार रात डायन के शक में एक परिवार के पांच लोगों—बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी, मां, बेटा और बहू—को पहले पीटा और फिर जिंदा जला दिया गया। तांत्रिक नकुल उरांव की उकसाहट पर 200-250 ग्रामीणों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है, और जांच जारी है।
अंधविश्वास का कहर
आजमगढ़ और पूर्णिया की घटनाएं अंधविश्वास की गहरी जड़ों को उजागर करती हैं। एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में डायन प्रथा के नाम पर 85 हत्याएं हुईं। बिहार और झारखंड में यह समस्या गंभीर है। सरकार को जागरूकता अभियान और सख्त कानून लागू करने की जरूरत है, ताकि ऐसी हत्याओं को रोका जा सके।