“सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन ‘आपदा में अवसर’ ढूँढने की कला भारत में अमर है!” अहमदाबाद हादसे ने एक बार फिर साबित भी कर दिया। सरकार के लिए मानवीय त्रासदियाँ महज “राजस्व विंडो” हैं। 2020 में कोविड की आड़ में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए, 2022 में मोरबी पुल गिरने के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर फंड काटा, और अब ट्रेन किराया बढ़ाकर “मौतों का व्यवसायीकरण” कर दिया।
275 लाशों पर सरकारी कैलकुलेटर की चाल, जनता की जेब पर डाका मतलब आपदा में अवसर
12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने 275 परिवारों को उजाड़ दिया। देश शोक में डूबा, मगर सरकारी गलियारों में उत्सव मना। रेलवे बोर्ड ने 48 घंटे के भीतर चुपके से किराया बढ़ोतरी का फरमान सुना दिया। यह वही “आपदा पूँजीवाद” है, जहाँ लाशें गिनने का काम कैलकुलेटर और टैक्स वसूलने की मशीन संभालती हैं और इसे ही आपदा में अवसर कहते है।
“शोक सभाएँ जनता के लिए, कमाई के मौके सरकार के लिए।”
— रेलवे यूनियन का एक बेनाम बागी
भाग-1: किराया बढ़ोतरी का काला गणित
1 जुलाई से ट्रेन किराया बढ़ेगा: नॉन-एसी में 1 पैसा/किमी, एसी में 2 पैसे/किमी। सुनने में छोटा, मगर जेब पर भारी। हिसाब देखिए:
यात्रा | पुराना किराया | नया किराया | लाशों का टैक्स |
---|---|---|---|
मुंबई-पटना (1,800 किमी) | |||
स्लीपर | ₹540 | ₹558 | ₹18 |
3AC | ₹1,430 | ₹1,466 | ₹36 |
दिल्ली-चेन्नई (2,200 किमी) | |||
2AC | ₹2,375 | ₹2,419 | ₹44 |
सामान्य | ₹335 | ₹343.5 | ₹8.5 |
दावा: “सुरक्षा सुधार के लिए पैसा चाहिए।” हकीकत: 2024-25 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 98% (CAG रिपोर्ट 17/2023), यानी भ्रष्टाचार और लापरवाही में ₹24,000 करोड़ डूबे। सुरक्षा का पैसा कहाँ? नेताओं की VVIP बुलेट ट्रेन में!
“हर टिकट पर लिखा होगा: ₹X अहमदाबाद की लाशों के लिए, मगर जाएगा सरकारी खजाने में।”
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भाग-2: आपदा की आड़ में लूट का इतिहास
अहमदाबाद हादसा कोई पहला मौका नहीं। सरकार की डकैती का रिकॉर्ड देखिए:
1. कोविड लॉकडाउन (2020): मजदूरों की पसीने की कमाई पर डाका
ढोंग: “मजदूर स्पेशल ट्रेनें मुफ्त हैं।” सच: RTI (DL-R/2021/781) के मुताबिक, 1.2 करोड़ मजदूरों से ₹2,376 करोड़ ठगे गए। प्रति टिकट ₹1,980 वसूला गया, जबकि स्लीपर का किराया ₹600 था। महाराष्ट्र सरकार ने भुगतान रसीदें जारी कीं, जिनमें “परिचालन शुल्क” का झूठा बहाना था। बोनस लूट: डीजल ₹32/लीटर पर था, फिर भी किराया नहीं घटाया गया। रेलवे ने इससे ₹7,200 करोड़ का मुनाफा काटा।
2. बालासोर रेल हादसा (2023): खून से सनी पटरियों पर मुनाफा
290 मौतों के तीन महीने बाद, रेलवे ने डीजल इंजन वाली ट्रेनों का किराया 7% बढ़ा दिया। कमाई? सालाना ₹850 करोड़। नतीजा: 2024 में रेल दुर्घटनाएँ 67% बढ़ीं। सुरक्षा के नाम पर आवंटित ₹15,000 करोड़ में से सिर्फ ₹4,200 करोड़ खर्च हुए (RTI जवाब क्रमांक R-2024/45)।
3. मोरबी पुल हादसा (2022): मौतों को करेंसी में बदलने का फार्मूला
135 लाशों के बाद, “पुल सुरक्षा अभियान” के नाम पर आवंटित ₹200 करोड़ रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट्स में डाल दिए गए। गुजरात सरकार की लेखा परीक्षा रिपोर्ट (पृष्ठ 89) ने इसे “बजट का दुरुपयोग” बताया। परिणाम: 2023 में राज्य के 12 और पुल “खतरनाक” घोषित हुए।
“लाशों की गिनती पूरी होने से पहले टैक्स की गणना शुरू हो जाती है।”
— RTI कार्यकर्ता अनीस मलिक
भाग-3: “सुरक्षा” का सरकारी झूठ और सच्चाई का पर्दाफाश
रेल मंत्री का दावा: “किराया बढ़ोतरी यात्री सुरक्षा के लिए जरूरी है।” आइए तथ्यों से जांचें:
- झूठ 1: “सुरक्षा पर खर्च बढ़ेगा।”
सच्चाई: 2024-25 के बजट में सुरक्षा के लिए सिर्फ ₹28,800 करोड़ (कुल आवंटन का 12%)। बाकी ₹2.11 लाख करोड़ VVIP सुविधाओं और स्टेशनों पर शॉपिंग मॉल बनाने में गया। - झूठ 2: “ट्रैक अपग्रेड हो रहे हैं।”
सच्चाई: RTI (R-2024/32) के अनुसार, 2020-24 में स्वीकृत ₹15,000 करोड़ में से सिर्फ 28% खर्च हुआ। CAG रिपोर्ट (संख्या 17/2023) चेतावनी देती है: “62% ट्रैक अभी भी असुरक्षित।” - झूठ 3: “किराया वृद्धि मामूली है।”
सच्चाई: 4 सदस्यों का मुंबई-दिल्ली 3AC सफर अब ₹5,864 का पड़ेगा (पहले ₹5,720)। यानी ₹144 अतिरिक्त। एक दिहाड़ी मजदूर की दो दिन की कमाई!
“सुरक्षा के नाम पर किराया बढ़ाना वैसा ही है, जैसे मरीज से ऑपरेशन का पैसा लेकर उसका गला काट देना।”
— रेल विशेषज्ञ डॉ. राजीव अग्निहोत्री
भाग-4: अगली लूट की तैयारी – सरकार का “आपदा टैक्स ब्लूप्रिंट”
सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय का गुप्त दस्तावेज (फाइल नं. F-133/2025) भविष्य के “आपदा करों” का खाका पेश करता है:
- बाढ़ कर: प्रभावित राज्यों में राशन की कीमतों पर 5% अतिरिक्त शुल्क। कारण: “राहत कार्यों के लिए धन जुटाना।”
- गर्मी सेस: तापमान 45°C पार करने पर बिजली बिल में “ताप नियंत्रण अंशदान”।
- चुनाव टैक्स: वोटिंग महीने में पेट्रोल पर “लोकतांत्रिक व्यय पूर्ति शुल्क”।
“आज ट्रेन का किराया, कल सांस लेने का टैक्स। तैयारी कर लो!”
— वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी (नाम गोपनीय)
भाग-5: जनता से गुहार – “लूट के खिलाफ खड़े हो!”
1 जुलाई से पहले अपनी यात्रा पूरी कर लें, वरना हर टिकट पर थोपा जाएगा “अहमदाबाद शोक कर”। हमारी मांगें:
- किराया वृद्धि तत्काल वापस ली जाए।
- 2020-25 के बीच आपदाओं से कमाए गए ₹10,000 करोड़ का सार्वजनिक लेखा-जोखा पेश किया जाए।
- रेलवे भ्रष्टाचार पर CBI जांच हो और दोषियों को जेल भेजा जाए।
“जब तक जनता सोती रहेगी, सरकार लाशों पर नाचती रहेगी। जागो! पूछो: हमारे पैसे कहाँ गए?”
स्रोत:
- रेलवे बजट 2024-25, पृष्ठ 112।
- CAG रिपोर्ट संख्या 17/2023 (मोरबी कोष हस्तांतरण)।
- RTI: DL-R/2021/781 (कोविड ट्रेन लूट)।
- गुजरात सरकार लेखा परीक्षा रिपोर्ट 2023, पृष्ठ 89।
चेतावनी: इस रिपोर्ट को साझा करने पर आपको “राष्ट्रविरोधी” घोषित किया जा सकता है। पर सच को दबाने से बड़ा राष्ट्रद्रोह क्या होगा?