तेहरान/जेरूसलम, 14 जून 2025
इजरायली वायुसेना ने शुक्रवार तड़के ईरान के छह रणनीतिक ठिकानों पर “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत भारी हमला बोला। इस अभियान में 200 फाइटर जेट्स ने परमाणु सुविधाओं और सैन्य कमान केन्द्रों को निशाना बनाते हुए ईरान के रक्षा ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाया। ईरानी सरकारी मीडिया के अनुसार, हमलों में 78 लोगों की मौत हुई और 329 घायल हुए, जिनमें छह परमाणु वैज्ञानिक और 20 वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हैं। इजरायल ने इस हमले को “अस्तित्व के खिलाफ खतरे” का जवाब बताया ।
🔥 हमले की प्रमुख जानकारी
- निशाने पर कौन?
इजरायली सेना ने तेहरान के आसपास स्थित नतांज यूरेनियम संवर्धन केंद्र, तबरीज का न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर, करमनशाह और अराक में मिसाइल साइट्स को निशाना बनाया। इनमें से चार ठिकाने परमाणु अनुसंधान से सीधे जुड़े थे । - वरिष्ठ कमांडरों का सफाया:
हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) के कमांडर जनरल हुसैन सलामी, सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी, और एयरोस्पेस फोर्स कमांडर जनरल अमीर अली हाजीजादेह समेत 20 वरिष्ठ अधिकारी मारे गए। ईरान ने तुरंत नए कमांडर नियुक्त किए । - परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या:
मोहम्मद मेहदी तेहरांची और फरदून अब्बासी सहित छह शीर्ष वैज्ञानिक हमले में ढेर हो गए। ये वैज्ञानिक ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ माने जाते थे ।
✈️ ईरान का जवाबी हमला और उसका असर
दोपहर तक, ईरान ने 100 से अधिक ड्रोन इजरायल की ओर दागे, लेकिन इजरायली वायुसेना ने दावा किया कि सभी को हवा में ही नष्ट कर दिया गया। IDF के प्रवक्ता ने कहा, “हमारी आयरन डोम और वायु रक्षा प्रणालियों ने कोई भी ड्रोन सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया” ।
इस संघर्ष का सीधा असर वैश्विक उड्डयन पर पड़ा। ईरान, इराक, जॉर्डन और इजरायल ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया, जिससे एयर इंडिया समेत कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस की उड़ानें प्रभावित हुईं:
- एयर इंडिया की 16 उड़ानें डायवर्ट या रद्द की गईं, जिनमें लंदन-मुंबई (AI130) और न्यूयॉर्क-दिल्ली (AI102) शामिल हैं ।
- लुफ्थांसा, एयर फ्रांस, टर्किश एयरलाइंस और कतर एयरवेज ने भी क्षेत्र में उड़ानें रद्द कीं ।
🌍 वैश्विक प्रतिक्रियाएं: चिंता से लेकर धमकियां तक
- भारत: विदेश मंत्रालय ने चिंता जताई और दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया। भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने तथा स्थानीय सलाह मानने को कहा गया ।
- तुर्किये: राष्ट्रपति एर्दोगन ने नेतन्याहू को “दुनिया जलाने वाला” बताते हुए कहा, “इन्हें रोका जाना चाहिए” ।
- अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को “समझौते का दूसरा मौका” दिए जाने की बात कही, लेकिन साथ ही धमकी दी कि “आने वाले समय में कुछ और बड़ा हो सकता है” ।
- सऊदी अरब और पाकिस्तान: इजरायल की कार्रवाई की तीखी आलोचना करते हुए इसे “संप्रभुता का उल्लंघन” बताया ।
ईरान ने अमेरिका के साथ होने वाली परमाणु वार्ता रद्द कर दी। विदेश मंत्रालय ने कहा, “इस तरह के आक्रामक कृत्य के बाद बातचीत का कोई आधार नहीं बचा” ।
⚡ कूटनीतिक संकट और भविष्य के खतरे
इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने संकट के बीच पीएम मोदी से फोन पर बातचीत की और मध्य पूर्व की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन से भी जल्द बात करने की योजना बनाई है ।
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि ईरान प्रत्यक्ष युद्ध के बजाय प्रॉक्सी गुटों (हिजबुल्लाह, हूती) के जरिए जवाबी कार्रवाई करेगा। अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ ओमर अनस के अनुसार, “ईरान जानता है कि इजरायल के खिलाफ लड़ाई अमेरिका और यूरोप से टकराव है” ।
इजरायल ने पूरे देश में सैन्य तैनाती बढ़ा दी है, जबकि ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने चेतावनी दी है: “इजरायल को दर्दनाक नियति का इंतजार करना चाहिए। हमारा शक्तिशाली पंजा उसे जकड़ लेगा” ।
💥 निष्कर्ष: क्षेत्र की शांति के लिए खतरा
इस संघर्ष ने न केवल इजरायल-ईरान समीकरणों को बदल दिया है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में युद्ध की आशंका बढ़ा दी है। परमाणु ठिकानों पर हमले, वैज्ञानिकों की हत्या और हवाई क्षेत्रों के बंद होने से वैश्विक सुरक्षा चिंताएं गहराई हैं। जैसे-जैसे दोनों देश अपनी-अपनी सेनाएं तैनात कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका संघर्ष को रोकने में महत्वपूर्ण होगी।
“नेतन्याहू और उनका नरसंहार नेटवर्क पूरे क्षेत्र को जला रहा है। उन्हें रोका जाना चाहिए।”
– रेसेप तैयप एर्दोगन, राष्ट्रपति, तुर्किये
(रिपोर्ट: अंतरराष्ट्रीय मामलों के विश्लेषक, सैन्य सूत्रों और सरकारी बयानों के आधार पर)
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