पब्लिशर: Smart Khabari Deoria Desk | लेखक: अवधेश यादव | प्रकाशन तिथि: 27 मई 2025
देवरिया, उत्तर प्रदेश (27 मई, 2025): उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद की एकौना पुलिस ने अपराध और अपराधियों के खिलाफ अपनी अटूट प्रतिबद्धता का एक और शानदार उदाहरण पेश किया है। सोमवार, 26 मई, 2025 की देर शाम, सब-इंस्पेक्टर श्री विनय सिंह के नेतृत्व में, हेड कांस्टेबल श्री विनय कुमार और कांस्टेबल श्री शुभम यादव सहित उनकी जांबाज टीम ने एक ऐसे ‘शातिर’ अपराधी को धर दबोचा, जिसके मंसूबे समाज की नींव को हिला सकते थे। यह एकौना पुलिस की कामयाबी की एक ऐसी मिसाल है जो सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी!
खतरनाक’ मंसूबों का पर्दाफाश: कैसे रची गई ऑपरेशन की व्यूह रचना
पुलिस सूत्रों और FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) में दर्ज विवरण के अनुसार, एसआई विनय सिंह अपनी टीम के साथ क्षेत्र में शांति और सुरक्षा का जायजा ले रहे थे, तभी एक “मुखबिर खास” (विशेष सूचना प्रदाता) ने उन्हें एक ऐसी गुप्त सूचना दी जिसने उन्हें चौंकन्ना कर दिया। सूचना थी कि ग्राम चैलवा दुबौली में एक गुमटी (छोटी दुकान) से एक व्यक्ति बड़े पैमाने पर अवैध शराब का कारोबार कर रहा है। इस सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए, एसआई विनय सिंह और उनकी टीम ने अपनी जान की परवाह न करते हुए उस गुमटी की ओर प्रस्थान किया।
गुमटी पर पहुंचने पर जो दृश्य दिखा, वह किसी भी बहादुर पुलिस अधिकारी के रोंगटे खड़े करने के लिए काफी था। गुमटी में एक व्यक्ति बैठा था, जिसके पास एक सफेद रंग की बोरी में कुछ संदिग्ध वस्तुएं रखी थीं। पुलिस टीम ने पूरी सतर्कता और साहस का परिचय देते हुए उस व्यक्ति और गुमटी की तलाशी ली। तलाशी के दौरान, उस सफेद बोरी से 18 पाउच “बंटी बबली” ब्रांड की देशी शराब (प्रत्येक 200 ML) बरामद हुई, जिसे वह व्यक्ति – सुग्रीव साहनी, पुत्र बेचन साहनी, निवासी चैलवा दुबौली – अपनी दुकान से बेच रहा था।
यह एकौना पुलिस की कामयाबी का पहला चरण था। पूछताछ करने पर, सुग्रीव साहनी ने जो खुलासा किया, वह और भी चौंकाने वाला था। उसने बताया कि वह “जन्म से अंधा हैं” और “अपनी परिवार की रोजी रोटी के लिए” यह शराब बेचने का ‘अवैध’ कार्य करता हैं। उसने अपनी ‘गलती’ के लिए माफी भी मांगी।
यह दर्शाता है कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता, भले ही वह अपनी लाचारी की आड़ लेना चाहे।
खौफनाक’ आरोपी और ‘डरपोक’ जनता? गवाहों का रहस्यमयी पलायन!

इस ‘हाई-प्रोफाइल’ बरामदगी के दौरान गांव के कुछ लोग भी घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए थे, जिन्होंने मौके पर ही सुग्रीव साहनी द्वारा अवैध शराब बेचने की शिकायत भी की। लेकिन, जब एसआई विनय सिंह और उनकी टीम ने इन “जागरूक” नागरिकों से इस नेक काम में गवाह बनने का आग्रह किया, तो वे “भलाई बुराई का हवाला देते हुए हट बढ़ गये।”
यह दृश्य सोचने पर मजबूर करता है – क्या सुग्रीव साहनी का ‘खौफ’ इतना था कि कोई उनके खिलाफ गवाही देने को तैयार नहीं हुआ? या यह समाज की उदासीनता का प्रतीक है जो ऐसे ‘गंभीर’ अपराधों के खिलाफ भी पुलिस का साथ देने से कतराता है? यह एकौना पुलिस की कामयाबी में एक छोटी सी बाधा जरूर थी, लेकिन उनके हौसले बुलंद थे।
कानून का शिकंजा और ‘न्याय’ की ओर बढ़ते कदम
सुग्रीव साहनी द्वारा बिना किसी वैध कागजात या लाइसेंस के शराब बेचना आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत एक दंडनीय अपराध पाया गया। एसआई विनय सिंह द्वारा FIR दर्ज कराई गई, जिसमें पूरी कार्रवाई का विवरण दिया गया, और कांस्टेबल श्री शुभम यादव के भी हस्ताक्षर मौजूद हैं। इस “सफल ऑपरेशन” के बाद, अभियुक्त सुग्रीव साहनी को कल देर शाम गिरफ्तार कर लिया गया और आज, 27 मई, 2025 को उसे जेल भेज दिया गया है, जहाँ कानून अपना काम करेगा। यह एकौना पुलिस की कामयाबी का चरमोत्कर्ष था।
एक ‘बड़ी’ कामयाबी जो सवाल खड़े करती है
एकौना पुलिस, विशेषकर एसआई विनय सिंह, हेड कांस्टेबल विनय कुमार और उनकी टीम, इस “अभूतपूर्व कामयाबी” के लिए निश्चित रूप से बधाई की पात्र है। उन्होंने समाज को एक ऐसे ‘खतरनाक’ अपराधी से बचाया है जो अपनी गुमटी से 18 पाउच देशी शराब बेचकर शायद पूरे क्षेत्र की शांति भंग कर सकता था।
यह वाकई में काबिले तारीफ है कि हमारी पुलिस इतनी छोटी-छोटी दुकानों और इतने ‘शातिर’ अपराधियों पर भी अपनी पैनी नजर रखती है, भले ही वह अपराधी जन्म से अंधा हो और अपनी रोजी-रोटी के लिए यह सब कर रहा हो।
यह जानना भी दिलचस्प है कि “बंटी बबली” देशी शराब, जैसा कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स बताता है, एक वैध और काफी लोकप्रिय ब्रांड है जिसकी सालाना करोड़ों बोतलों की बिक्री होती है। तो, सुग्रीव साहनी का अपराध शायद शराब की प्रकृति से ज्यादा उसे बिना लाइसेंस बेचने का था – एक ऐसा “कानून से खिलवाड़” जो शायद “पेट की खातिर” किया गया हो।
इस “बड़ी सफलता” के बाद, देवरिया और एकौना के नागरिक निश्चित रूप से अब और अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे होंगे। अब यह देखना बाकी है कि हमारी व्यवस्था उन मूल कारणों का समाधान कब करेगी जो किसी आंखों से लाचार व्यक्ति को अपनी रोजी-रोटी के लिए ऐसे कदम उठाने पर मजबूर करते हैं।
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क्या यही है वह “अपराध मुक्त समाज” जिसका सपना हमें दिखाया जाता है, जहाँ एक दृष्टिहीन व्यक्ति द्वारा 18 पाउच शराब बेचना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन जाता है और उसकी गिरफ्तारी एक “अभूतपूर्व कामयाबी” कहलाती है? शायद यही वह सवाल है जो आम आदमी को हैरान भी करता है और सोचने पर मजबूर भी।
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