Pahalgam Attack 2025: आदिल हुसैन ठोकर, शिक्षक से आतंकी तक की कहानी|

Smart Khabari News DesK 29 अप्रैल 2025
नई दिल्ली: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को हिलाकर रख दिया। बैसारन मीडो की शांत वादियों में 26 लोगों, ज्यादातर पर्यटकों, की जान लेने वाला यह हमला लश्कर-ए-तैयबा और इसके सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की साजिश था। इस हमले का मास्टरमाइंड था आदिल हुसैन ठोकर, जो कभी प्राइवेट स्कूल में शिक्षक था। यह लेख आदिल की शैक्षिक योग्यता, परिवार की प्रतिक्रिया, और आतंकवाद की राह पर उसकी यात्रा को उजागर करता है।

आदिल हुसैन ठोकर कौन है?

आदिल हुसैन ठोकर अनंतनाग जिले के गुरी गांव (बिजबेहरा) का निवासी है। पड़ोसियों के अनुसार, वह एक शांत और पढ़ाई में रुचि रखने वाला व्यक्ति था। लेकिन उसकी जिंदगी ने 2018 में खतरनाक मोड़ लिया, जब वह पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण के लिए गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आदिल ने इस हमले में पाकिस्तानी आतंकियों को रास्ते और रसद प्रदान की, जिससे वह पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड बन गया।

शैक्षिक योग्यता: शिक्षक से आतंकी तक

दैनिक भास्कर के अनुसार, आदिल हुसैन ठोकर ने साइंस और उर्दू में डिग्री हासिल की थी और एक प्राइवेट स्कूल में पार्ट-टाइम शिक्षक था। यह उसकी उच्च शिक्षा और बौद्धिक क्षमता को दर्शाता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उसने यह डिग्री किस संस्थान से प्राप्त की। उसका शिक्षक के रूप में काम करना यह सवाल उठाता है कि एक शिक्षित व्यक्ति कट्टरपंथ की ओर कैसे बढ़ सकता है।

आतंकवाद की राह: 2018 का टर्निंग पॉइंट

आदिल की आतंकी यात्रा की शुरुआत 2018 में हुई:

  • 2018: वह स्टूडेंट वीजा पर पाकिस्तान गया और लश्कर-ए-तैयबा के शिविरों में 8 महीने तक आतंकी प्रशिक्षण लिया।
  • 2018-2024: प्रशिक्षण के बाद वह अंडरग्राउंड हो गया और लश्कर के हैंडलर्स के साथ संपर्क में रहा।
  • 2024: वह पुंछ-राजौरी सेक्टर से नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर कश्मीर लौटा।
  • 22 अप्रैल 2025: उसने पहलगाम हमले की साजिश रची, जिसमें हाशिम मूसा (उर्फ सुलेमान) और अली भाई (उर्फ तलहा भाई) जैसे पाकिस्तानी आतंकियों को सहयोग दिया। मिली जानकारी के अनुसार, हाशिम मूसा पूर्व पाकिस्तानी कमांडो है। बारामूला में अटैक भी मूसा का हाथ होने की बात सामने आई है, बता दे, इस हमले में 2 सेना जवानों और 2 पोर्टर्स की जान चली गई थी।

परिवार की प्रतिक्रिया: मां का दिल दहलाने वाला बयान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आदिल की मां ने कहा:

“आदिल बचपन से शरीफ था। सब कह रहे हैं कि उसने पहलगाम में 26 टूरिस्ट को मार दिया। अगर ये सच है, तो उसे फांसी होनी चाहिए।”

यह बयान एक मां के दर्द और गुस्से को दर्शाता है। मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पड़ोसियों ने बताया कि परिवार को आदिल हुसैन ठोकर की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया कि आदिल की बहन ने उसे “मुजाहिद्दीन” कहा, लेकिन यह जानकारी असत्यापित है।

हमले की साजिश और सुरक्षा बलों की कार्रवाई

पहलगाम हमले में चार से पांच आतंकी शामिल थे, जो M-4 कार्बाइन और AK-47 जैसे हथियारों से लैस थे। आदिल ने 15 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के साथ मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया। सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई की:

  • 20 लाख रुपये का इनाम: अनंतनाग पुलिस ने आदिल की जानकारी देने के लिए इनाम घोषित किया।
  • घर ध्वस्त: उसका घर, जो आतंकी ठिकाना था, विस्फोटकों से नष्ट कर दिया गया।
  • NIA जांच: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने तीन OGWs को हिरासत में लिया और अहम सुराग प्राप्त किए।

सामाजिक और वैश्विक प्रभाव

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहलगाम हमले ने स्थानीय और वैश्विक स्तर पर गहरा प्रभाव डाला। स्थानीय टैक्सी ड्राइवरों, होटल संचालकों, और घुड़सवारों ने पर्यटकों की मदद की, जो कश्मीरी समाज की एकजुटता को दर्शाता है। वैश्विक नेताओं ने हमले की निंदा की। भारत ने अटारी बॉर्डर बंद किया और सिंधु जल समझौता रद्द करने की घोषणा की।

क्यों चुनी आदिल ने आतंक की राह?

आदिल हुसैन ठोकर का आतंकवाद की ओर बढ़ना कई कारण हो सकते है:

  • कट्टरपंथी प्रभाव: पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा का प्रशिक्षण उसकी सोच को बदलने का मुख्य कारण बताया जा रहा है।
  • सामाजिक-राजनीतिक माहौल: कश्मीर में लंबे समय से चली आ रही अशांति, पाक आतंकियों द्वारा युवाओं को धन का लालच और धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ा कर   विद्रोही बनने के लिए प्रेरित किया जाना सबसे बड़ा कारण हो सकता है।
  • वैचारिक प्रभाव: आतंकी संगठनों ने युवाओं को कट्टर विचारधारा से प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाई, ऐसे में वैचारिक प्रभाव भी एक कारण हो सकता है।

भविष्य के लिए सबक

आदिल हुसैन ठोकर की कहानी एक शिक्षित व्यक्ति के कट्टरपंथ की ओर बढ़ने की दुखद गाथा है। उसकी मां का बयान और स्थानीय समाज की प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि कश्मीर का आम नागरिक शांति चाहता है। सरकार, समाज, और शिक्षण संस्थानों को मिलकर कट्टरता, बेरोजगारी, और असंतोष जैसे मुद्दों का समाधान करना होगा। ताकि भविष्य में फिर कोई बहक कर “आदिल हुसैन ठोकर” न बने।

ग्लोबल स्तर पर नेताओं की प्रतिक्रिया ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान शांति की राह पर चलने के बजाय आये दिन भारत के खिलाफ साजिश रचता है, साथ ही आतंकवादियों को पनाह देता है।

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लेखक: अवधेश यादव | प्रकाशन तिथि: 29 अप्रैल 2025

Avadhesh Yadav
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