पाकिस्तानी सेना में भगदड़: 4500 सैनिक और 250 अधिकारियों ने छोड़ी ड्यूटी, भारत के साथ युद्ध की आशंका से दहशत

Smart Khabari News Desk: पाकिस्तानी सेना में भगदड़ की खबर ने पाकिस्तान के माथे पर पसीना ला दिया है। पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच 4500 सैनिको ने नौकरी छोड़ दी।

पाकिस्तान सरकार के लिए एक शर्मनाक और चिंताजनक घटनाक्रम में, पाकिस्तानी सेना में बड़े पैमाने पर सैनिकों और अधिकारियों के भागने की खबरें सामने आई हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के साथ बढ़ते तनाव और युद्ध की आशंका के बीच, लगभग 4500 सैनिकों और 250 अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी छोड़ दी है। यह संकट तब और गहरा गया, जब कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का शक भारत ने जताया। आइए, इस घटनाक्रम के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर डालते हैं।

पाकिस्तानी सेना में भगदड़ का कारणपहलगाम हमला।

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बाइसरण घाटी के पास एक आतंकी हमले ने भारत को झकझोर दिया। इस हमले में 25 हिंदू पर्यटक, एक ईसाई पर्यटक और एक स्थानीय मुस्लिम सहित 26 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जिसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है।

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता का संदेह जताया है, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया।भारत ने इस हमले के जवाब में कड़े कदम उठाए, जिसमें 1960 के इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करना, पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करना, और अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना शामिल है।

पाकिस्तान ने इन कदमों को “युद्ध की कार्रवाई” करार देते हुए जवाबी कदम उठाए, जिसमें भारतीय नागरिकों के वीजा रद्द करना और अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय विमानों के लिए बंद करना शामिल है।

पाकिस्तानी सेना में भगदड़: युद्ध के पहले ही टूटा मनोबल

पहलगाम हमले के बाद भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की आशंका ने पाकिस्तानी सेना के भीतर दहशत पैदा कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केवल दो दिनों के भीतर 4500 सैनिकों और 250 अधिकारियों ने अपनी पोस्ट छोड़ दी। खास तौर पर, पश्चिमी सीमा पर तैनात 12वीं कोर के लगभग 200 अधिकारी और 600 सैनिकों के भागने की खबर है। सैनिकों और उनके परिवारों में यह डर व्याप्त है कि भारत एक बड़े पैमाने पर सैन्य जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा।

पाकिस्तानी सेना के 11वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उमर बुखारी ने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को एक पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि सैनिकों का मनोबल तेजी से गिर रहा है। बुखारी ने कहा कि अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो भारत के साथ संभावित युद्ध में पाकिस्तानी सेना प्रभावी प्रतिरोध करने में असमर्थ होगी।

आंतरिक और बाहरी दबाव: सेना फंसी दुविधा में।

पाकिस्तानी सेना पहले से ही कई मोर्चों पर दबाव का सामना कर रही है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे विद्रोही समूहों के हमलों ने सेना को कमजोर किया है। मार्च 2025 में ही 2500 सैनिकों ने इन क्षेत्रों में असुरक्षा और लगातार हताहतों के कारण सेना छोड़ दी थी। कई सैनिक खाड़ी देशों जैसे सऊदी अरब, कतर, और यूएई में मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं, जो सेना के लिए एक और झटका है।

इसके अलावा, भारत के साथ तनाव ने पाकिस्तानी सेना के भीतर अनुशासन और एकता को और कमजोर किया है। एक वायरल पत्र, जो कथित तौर पर मेजर जनरल फैसल महमूद मलिक द्वारा जारी किया गया, सैनिकों से देश के प्रति वफादारी और मनोबल बनाए रखने की अपील करता है। हालांकि, यह पत्र सेना के भीतर गहरे असंतोष को भी उजागर करता है।

पाकिस्तान की रणनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने दावा किया है कि भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई “आसन्न” है और इसके लिए पाकिस्तान ने अपनी सेना को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने खाड़ी देशों और चीन जैसे मित्र राष्ट्रों से संपर्क किया है, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। चीन ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, जबकि अमेरिका ने इस मामले में तटस्थ रुख अपनाया है।

दूसरी ओर, भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को तेज कर दिया है। भारतीय वायुसेना ने हाल ही में “आक्रामण” नामक एक बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया, जिसमें राफेल जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया। यह अभ्यास युद्ध की स्थिति में पहाड़ी इलाकों में उच्च-तीव्रता वाले हमलों की तैयारी का हिस्सा था।

क्या है आगे का रास्ता?

पाकिस्तानी सेना में यह भगदड़ न केवल उसकी युद्ध क्षमता को कमजोर कर रही है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा कर रही है। भारत और पाकिस्तान, दोनों ही परमाणु हथियारों से लैस देश हैं, और किसी भी सैन्य टकराव के परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से “अधिकतम संयम” बरतने की अपील की है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच राजनयिक चैनल लगभग बंद हो चुके हैं।

पाकिस्तान के लिए यह समय आंतरिक एकता और सैन्य मनोबल को बहाल करने का है, लेकिन जनरल असीम मुनीर और शहबाज शरीफ सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उनकी सरकार का रुख कड़ा रहेगा।

पाकिस्तानी सेना में चल रही यह उथल-पुथल एक अभूतपूर्व संकट का संकेत है। पहलगाम हमले ने न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को तनावपूर्ण किया है, बल्कि पाकिस्तानी सेना की आंतरिक कमजोरियों को भी उजागर किया है। जैसे-जैसे स्थिति विकसित हो रही है, दुनिया की नजरें इस क्षेत्र पर टिकी हैं, जहां एक छोटी सी चिंगारी भी बड़े पैमाने पर संघर्ष को जन्म दे सकती है।

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लेखक: अवधेश यादव | प्रकाशन तिथि: 29 अप्रैल 2025

Avadhesh Yadav
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