एक कुंभनार्थी ने अपने वतन को चिट्ठी लिखी है, सर्वप्रथम यह बता दू कि यह लेख एक समाचार पत्र से लिया गया है, मै उस संपादक को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने अपनी लेखनी से एक आम आदमी के दर्द को उजागर कर दिया।
कुंभनार्थी ने वतन के नाम लिखी चिट्ठी में क्या लिखा, आइये जानते है
कुंभ में भगदड़ हो गई जी। भगदड़ हुई है, यह अब सरकार ने भी मान लिया है। अगर सरकार न मानती तो मेरी भी क्या मजाल थी कि कहता कि भगदड़ हुई है। अफ़वाह फैलाने के आरोप में मुझे जेल थोड़े ही जाना है। आपको शिकायत हो सकती है कि आज के जमाने में मैं चिट्ठी लिख रहा हूं। असल में भगदड़ में मेरा फोन गुम हो गया है।
बहुतों के तो परिजन ही गुम हो गए हैं। लेकिन हां, सरकार यह बात नहीं मान रही है।
विपक्ष वाले कह रहे हैं कि भगदड़ में हजारों लोग कुचल कर मर गए। हजारों लाशें गंगा में फेंक दी गईं। एंबुलेंसों के ड्राइवर कह रहे हैं कि खुद उन्होंने सैकड़ों लाशें ढोई हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि हजारों लोग मर गए। लेकिन उन पर यकीन मत करना।
सच तो यह है कि सिर्फ तीस लोग मरे हैं । एक कम, न एक ज्यादा। घायल भी सिर्फ नब्बे हुए हैं, एक कम, न एक ज्यादा। यहां तक कि घायल, घायल ही रहे, उनमें एक ने भी दम नहीं तोड़ा। हमें सरकार का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसने तीस लोगों के मरने की बात कबूल कर ली।
बल्कि योगी जी तो रोए भी। बताते हैं कि एक बार वे संसद में भी रोए थे – यह कह कर कि उनकी जान को खतरा है। लेकिन अब स्नानार्थियों को कोई खतरा नहीं है । सब चंगा सी।
वीआईपी स्नान के लिए पंहुच रहे हैं। कुंभ का आधा क्षेत्र तो उन्हीं के लिए है। वरना अर्थव्यवस्था तो पूरी की पूरी अडानी के लिए ही है। वैसे हजारों लोग तो कोरोना में भी गंगा की रेती में दफपनाए गए थे। उस वक्त हजारों लाशें गंगा में तैर रही थीं।
पारुल खक्कड़ ने तब एक कविता लिखी थी –
एक साथ सब मुर्दे बोले सब कुछ चंगा – चंगा,
साहेब तुम्हारे रामराज में शववाहिनी गंगा।
मुर्दाघरों में लाशों पर अंकित संख्या चाहे कुछ भी हो, मरे सिर्फ तीस ही हैं। हजारों के मरने की और हजारों के लापता होने की बात करना सनातन के खिलाफ साजिश है। सावधान रहना। इस तरह की बात करना कि लोगों को शरण देने के लिए मुसलमानों ने अपने घर और मस्जिदें खोल दीं, यह भी एक साजिश ही है और अगर हजारों लोग मरे भी हैं तो एक बाबा ने ठीक ही कहा है कि उन्हें मोक्ष ही मिला है। गंगा शववाहिनी ही नहीं, मोक्ष दायिनी भी है।
क्रेडिट : हिंदी दैनिक राष्ट्रीय सहारा