मुंबई, 2 मार्च (PTI) – पूर्व SEBI Chief Madhabi Puri Buch को बड़ा झटका देते हुए FIR दर्ज करने का आदेश दिया है।
इंडियन फाइनेंसियल मार्केट में सनसनीखेज खुलासा हुआ जब एक विशेष अदालत ने Anti-Corruption Bureau (ACB) को पूर्व SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच और 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि “प्राथमिक साक्ष्य दर्शाते हैं कि SEBI अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया और बाजार में हेरफेर किया, जिससे निष्पक्ष जांच अनिवार्य हो गई है।”
Market Manipulation के आरोप में पूर्व SEBI Chief Madhabi Puri Buch और कौन-कौन फंसे?
माधबी पुरी बुच के अलावा, जिन 5 प्रमुख अधिकारी FIR के दायरे में हैं, वे हैं:
- Sundararaman Ramamurthy – BSE के प्रबंध निदेशक और CEO
- Pramod Agarwal – पूर्व अध्यक्ष और Public Interest Director, BSE
- Ashwani Bhatia – SEBI के Whole Time Member
- Ananth Narayan G – SEBI के Whole Time Member
- Kamlesh Chandra Varshney – SEBI के Whole Time Member
SEBI अधिकारियों पर क्या आरोप हैं?
शिकायतकर्ता, जो एक वरिष्ठ मीडिया रिपोर्टर हैं, ने आरोप लगाया कि SEBI अधिकारियों ने जानबूझकर शेयर बाजार में हेरफेर किया और एक ऐसी कंपनी को लिस्टिंग की मंजूरी दी, जो SEBI नियमों के अनुरूप नहीं थी।
शिकायत के अनुसार:
- SEBI ने Market Manipulation को बढ़ावा दिया और नियामकीय प्रक्रियाओं को नजरअंदाज किया।
- Foreign Investors की भारी बिकवाली के बावजूद उचित निगरानी नहीं की गई।
- बड़े कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में ढील दी गई।
Adani Connection: Hindenburg Report ने पहले ही लगाए थे गंभीर आरोप!
अगस्त 2024 में, Hindenburg Research ने माधबी पुरी बुच पर Conflict of Interest का आरोप लगाया। रिपोर्ट के मुताबिक:
- माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने Offshore Entities में निवेश किया था।
- ये निवेश कथित रूप से Vinod Adani (गौतम अडानी के बड़े भाई) से जुड़े थे।
- SEBI ने Adani Group के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश की।
बुच दंपति ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “हमारे सभी निवेश SEBI जॉइन करने से पहले किए गए थे और हमने सभी नियामकीय जरूरतों का पालन किया है।”
ACB करेगी निष्पक्ष जांच, 30 दिनों में रिपोर्ट सौंपने के आदेश
अदालत ने ACB Worli, Mumbai Region को IPC, Prevention of Corruption Act, SEBI Act और अन्य लागू कानूनों के तहत FIR दर्ज करने और 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
क्या यह जांच SEBI के अंदरूनी भ्रष्टाचार को उजागर करेगी?
अब सवाल यह है कि क्या यह जांच SEBI अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगी या फिर यह भी एक लंबी कानूनी लड़ाई बनकर रह जाएगी? निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों की नजरें अब इस मामले पर टिकी हैं।