गोरखपुर में अस्पताल की लापरवाही का शिकार हुई मासूम: हाथ में फंसी नीडल, तड़पती रही बच्ची।
गगहा (गोरखपुर) 19 सितंबर: गोरखपुर जिले में एक साधारण इलाज ने 15 साल की बच्ची की जिंदगी को नर्क बना दिया। हाटा हॉस्पिटल की लापरवाही से इंजेक्शन की नीडल हाथ की नस में फंस गई, और पुलिस ने भी शिकायत नहीं सुनी – यह कहानी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है।
क्या हुआ उस दिन? पूरी घटना का ब्योरा
गोरखपुर में अस्पताल की लापरवाही का यह मामला गगहा थाना क्षेत्र के महुराई सिंघला गांव से जुड़ा है। पीड़िता की मां सीमा यादव ने बताया कि उनकी बेटी रंजना यादव (15) की 1 सितंबर को तबीयत खराब हुई। घरेलू इलाज से राहत न मिलने पर वे हाटा स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में गए। यहां एक कर्मचारी ने रंजना के बाएं हाथ में इंजेक्शन लगाया। लेकिन जैसे ही सुई लगी, बच्ची दर्द से छटपटाने लगी। कर्मचारी ने इसे नजरअंदाज किया और दूसरा इंजेक्शन लाकर दाहिने हाथ में लगा दिया।
सीमा यादव ने फोन पर हुई बातचीत में हमे बताया, “मेरी बेटी हॉस्पिटल से ही हाथ में दर्द की शिकायत कर रही थी। हमने सोचा थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा, लेकिन घर पहुंचते ही दर्द और बढ़ गया। रंजना रोती रही, हम दिलासा देते रहे।” परिवार ने दोबारा हॉस्पिटल जाकर शिकायत की, लेकिन वहां सिर्फ दवा देकर भेज दिया गया। थोड़ी राहत मिली, लेकिन दर्द फिर उभरा। तीसरी बार जाने पर कर्मचारी ने एक्स-रे कराने की सलाह दी। एक्स-रे रिपोर्ट ने सबको हिला दिया – रंजना की नस में इंजेक्शन की नीडल टूटकर फंस गई थी।
रिपोर्ट देखकर परिवार घबरा गया। रंजना का रो-रोकर बुरा हाल हो गया, और पूरा घर परेशान। सीमा कहती हैं, “हमारी बच्ची मासूम है, स्कूल जाती है। अब हाथ में दर्द से सो भी नहीं पाती।” यह घटना गोरखपुर में अस्पताल लापरवाही का एक और उदाहरण है, जहां छोटी सी गलती जिंदगी भर का दर्द दे सकती है।
हॉस्पिटल की बदसलूकी: शिकायत पर भगाया गया
परिवार ने तुरंत हॉस्पिटल जाकर शिकायत की। सुबह से शाम तक उन्हें बैठाया गया, लेकिन कोई जिम्मेदारी नहीं ली। रंजना दर्द से तड़पती रही, लेकिन कर्मचारी ने बदसलूकी की और कहा, “यहां कुछ नहीं हो सकता, जाओ जो करना हो कर लो। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” सीमा यादव ने आरोप लगाया कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने लापरवाही को छिपाने की कोशिश की, और उन्हें धमकाकर भगा दिया।
पुलिस की उदासीनता: थाने से भी भगाया गया
परिवार ने हॉस्पिटल से न्याय न मिलने पर गगहा थाने का रुख किया। लेकिन यहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। सीमा यादव का आरोप है कि पुलिसवालों ने उन्हें भगा दिया और FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया। “हम गरीब हैं, थाने में घंटों बैठे रहे, लेकिन कोई केस नहीं लिखा गया। पुलिस ने कहा कि यह मेडिकल मामला है, खुद सुलझाओ,” सीमा ने बताया।
डीएम और सीएमओ का हस्तक्षेप: जिला अस्पताल में मिली राहत
शिकायत पर मिला आदेश, इलाज शुरू
सीमा यादव ने बुधवार को जिलाधिकारी (डीएम) से शिकायत की। डीएम ने मामले को गंभीरता से लिया और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को जांच और कार्रवाई के आदेश दिए। साथ ही, रंजना के इलाज का निर्देश दिया। सीमा कहती हैं, “डीएम साहब ने हमारी फरियाद सुनी, और तुरंत एक्शन लिया। अब हमें थोड़ी उम्मीद बंधी है।”
ऑपरेशन से निकलेगी नीडल: दो दिन का इंतजार
जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि रंजना को तुरंत एडमिट कर लिया गया है। दो दिनों के इलाज के बाद उसके हाथ का ऑपरेशन किया जाएगा। ऑपरेशन में नस में फंसी नीडल निकाली जाएगी। सीमा यादव ने कहा, “डॉक्टर साहब ने कहा है कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन जांच में अभी समय लगेगा। हमारी मांग है कि हॉस्पिटल के कर्मचारी और डॉक्टर पर सख्त कार्रवाई हो।”