आईपीएस संजीव सुमन: देवरिया के नए पुलिस कप्तान, जिनकी सख्ती और फैमिली की कहानी हर कोई जानना चाहता है।
देवरिया, 18 सितम्बर: उत्तर प्रदेश में हालिया पुलिस फेरबदल ने देवरिया जिले को आईपीएस संजीव सुमन जैसे अनुभवी अधिकारी की सौगात दी है। एक आईआईटी ग्रेजुएट, जो प्राइवेट जॉब छोड़कर पुलिस सेवा में आया, अब पूर्वी यूपी के इस संवेदनशील जिले की कमान संभालेंगे। उनकी पत्नी भी आईपीएस हैं, और फैमिली बैकग्राउंड सरकारी सेवा से जुड़ा हुआ है।
देवरिया में नई जिम्मेदारी: ट्रांसफर का पूरा ब्योरा
आईपीएस संजीव सुमन को देवरिया का नया एसपी बनाया गया है, जो यूपी सरकार के 16 आईपीएस अधिकारियों के बड़े ट्रांसफर का हिस्सा है। इससे पहले वह अलीगढ़ के एसएसपी थे, और अब विक्रांत वीर की जगह लेंगे, जिन्हें डीजीपी मुख्यालय से अटैच किया गया। यह फेरबदल 18 सितंबर 2025 को हुआ, जब राज्य स्तर पर पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने के लिए बदलाव किए गए। देवरिया जैसे बॉर्डर जिले में उनकी तैनाती से अपराध नियंत्रण, तस्करी रोकथाम और सामाजिक सद्भाव पर विशेष फोकस की उम्मीद है।
हमने देवरिया के स्थानीय निवासियों से बात की, जहां एक बुजुर्ग ने कहा, “नए एसपी साहब की आईआईटी बैकग्राउंड से तकनीकी अपराधों पर नकेल कसी जा सकती है।” संजीव सुमन 2014 बैच के आईपीएस हैं, और उनकी पिछली पोस्टिंग्स ने उन्हें सख्त लेकिन निष्पक्ष अधिकारी के रूप में स्थापित किया है। यह ट्रांसफर ऐसे समय आया है जब यूपी में कानून-व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है।
संजीव सुमन का प्रारंभिक जीवन: बिहार के खगड़िया से आईआईटी रूड़की तक
आईपीएस संजीव सुमन का जन्म 30 नवंबर 1986 को बिहार के खगड़िया जिले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता महेश्वर तिवारी एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो अनुशासन और शिक्षा पर जोर देते थे। फैमिली बैकग्राउंड सरकारी सेवा और मध्यमवर्गीय मूल्यों से जुड़ा है, जहां पिता की सीख ने संजीव को मेहनती बनाया। खगड़िया जैसे छोटे जिले से निकलकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पर फोकस किया और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) रूड़की से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक पूरा किया।
आईआईटी से ग्रेजुएट होने के बाद संजीव ने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की, जहां हाई पैकेज वाली जॉब्स मिलीं। लेकिन उनका सपना सिविल सर्विसेज का था। प्राइवेट जॉब के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू की। शुरुआती प्रयासों में असफल रहे, लेकिन हार नहीं मानी। आखिरकार, 2014 में उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में हो गया। यह सफर परिवार के सपनों को साकार करने जैसा था – पिता महेश्वर तिवारी ने हमेशा कहा कि देश सेवा सबसे बड़ा लक्ष्य है। संजीव के भाई-बहनों के बारे में ज्यादा सार्वजनिक जानकारी नहीं है, लेकिन फैमिली का फोकस शिक्षा और सेवा पर रहा है।
वैवाहिक जीवन: आईपीएस पत्नी पूजा यादव के साथ साझा सफर
आईपीएस संजीव सुमन का वैवाहिक जीवन भी सेवा क्षेत्र से जुड़ा है। उनकी पत्नी पूजा यादव भी 2014 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं, जो मूल रूप से राजस्थान कैडर से हैं। 2018 में पूजा को पति के साथ रहने के लिए यूपी कैडर में ट्रांसफर कर दिया गया। यह जोड़ा पुलिस सेवा में एक-दूसरे का साथी है, और दोनों की पोस्टिंग्स अक्सर एक-दूसरे के करीब रहने की कोशिश में रहती हैं। पूजा यादव ने राजस्थान में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं, और अब यूपी में भी सक्रिय हैं।
संजीव और पूजा का विवाह एक मजबूत पार्टनरशिप का प्रतीक है, जहां दोनों पुलिसिंग की चुनौतियों को साथ निभाते हैं। फैमिली लाइफ में वे एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं, खासकर ट्रांसफर और ड्यूटी के दबाव में। बच्चों के बारे में सार्वजनिक रूप से ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन संजीव अक्सर इंटरव्यू में कहते हैं कि फैमिली उनका सबसे बड़ा सहारा है। यह आईपीएस जोड़ा युवा अधिकारियों के लिए प्रेरणा है, जहां पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ का बैलेंस बनाना आसान नहीं होता।
आईपीएस करियर की शुरुआत: पोस्टिंग्स और चुनौतियां
संजीव सुमन की पहली तैनाती 2016 में एएसपी के रूप में बागपत में हुई, जहां उन्होंने अपराध नियंत्रण में अपनी क्षमता दिखाई। 2018 में एडिशनल एसपी वेस्ट के पद पर कानपुर भेजे गए, और 2019 में बागपत के एसपी बने। यहां उन्होंने एनकाउंटर जैसे ऑपरेशन्स में सफलता हासिल की। 2020 में लखनऊ डीएसपी पूर्व की पोस्टिंग मिली। कोरोना काल में सख्ती दिखाई – कुछ सिपाहियों ने शादी गाइडलाइंस तोड़ी, तो पांच किलोमीटर दौड़ने की सजा दी, जो अनुशासन की मिसाल बनी।
2021 में लखीमपुर खीरी एसपी बने, जहां दलित बहनों की बलात्कार-हत्या का संवेदनशील केस सामने आया। जांच में उनकी भूमिका चर्चित रही। बाद में मुजफ्फरनगर, अलीगढ़ जैसे जिलों में एसएसपी रहे, जहां साम्प्रदायिक मुद्दों पर निष्पक्षता दिखाई। अलीगढ़ में हिंदू महासभा के प्रदर्शन पर सख्ती ने उन्हें सुर्खियां दिलाईं। उनकी कार्यशैली सख्त लेकिन न्यायपूर्ण है।
संजीव सुमन की फैमिली और प्रेरणा: सेवा का परिवार
आईपीएस संजीव सुमन का फैमिली बैकग्राउंड सादगी और शिक्षा से भरा है। पिता महेश्वर तिवारी ने उन्हें अनुशासन सिखाया, जो उनके करियर में झलकता है। मां के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं, लेकिन परिवार ने हमेशा सपोर्ट किया। पत्नी पूजा यादव के साथ उनका जीवन पुलिस सेवा का प्रतीक है – दोनों 2014 बैच के हैं, और ट्रांसफर में एक-दूसरे का साथ निभाते हैं।
बच्चों के नाम या संख्या के बारे में ज्यादा खुलासा नहीं किया गया है, क्योंकि आईपीएस अधिकारी अपनी पर्सनल लाइफ को प्राइवेट रखते हैं। लेकिन संजीव इंटरव्यू में कहते हैं कि फैमिली उनकी ताकत है, जो ड्यूटी के तनाव में सहारा देती है। यह फैमिली युवाओं को मोटिवेट करती है कि सेवा क्षेत्र में परिवार का महत्व क्या है। बिहार के छोटे जिले से निकलकर यूपी के बड़े जिलों तक पहुंचना उनकी फैमिली की मेहनत का नतीजा है।
कार्यशैली और उपलब्धियां: सख्ती के साथ निष्पक्षता
आईपीएस संजीव सुमन की इमेज सख्त अधिकारी की है। लखनऊ में सिपाहियों को सजा, अलीगढ़ में मॉब लिंचिंग केस पर कार्रवाई – ये उदाहरण उनकी निष्पक्षता दिखाते हैं। साइबर क्राइम और ऑपरेशन जागृति जैसे अभियानों में योगदान दिया। देवरिया में अपेक्षा है कि उनकी तकनीकी नॉलेज से क्रॉस-बॉर्डर अपराध रुकेगा।
देवरिया के लिए नई उम्मीदें
देवरिया में आईपीएस संजीव सुमन के सामने तस्करी, जातीय तनाव जैसी चुनौतियां हैं। उनकी फैमिली बैकग्राउंड से साफ है कि वे सेवा को प्राथमिकता देंगे। चौपाल और जागरूकता से अपराध रोक सकते हैं।
प्रेरणादायक सफर
आईपीएस संजीव सुमन का सफर बिहार से यूपी तक, आईआईटी से पुलिस कप्तान तक प्रेरणा है। पत्नी पूजा यादव और फैमिली के साथ वे सेवा जारी रखेंगे। देवरिया में नया अध्याय शुरू होगा।