नई दिल्ली, 12 सितंबर 2025: भारत की रिटेल महंगाई दर (CPI) अगस्त 2025 में बढ़कर 2.07% हो गई, जो जुलाई 2025 के 1.61% (आठ साल के निचले स्तर) से अधिक है । यह वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और बेस इफेक्ट के कमजोर होने के कारण हुई है । हालांकि, महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लक्ष्य रेंज 4% ±2% के भीतर बनी हुई है ।
रिटेल महंगाई दर में बदलाव का विस्तृत विवरण
- खाद्य महंगाई में सुधार, लेकिन अभी भी नकारात्मक क्षेत्र में
- अगस्त 2025 में खाद्य महंगाई दर -0.69% रही, जो जुलाई 2025 के -1.76% से बेहतर है ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य महंगाई -0.70% (जुलाई: -1.74%) और शहरी क्षेत्रों में -0.58% (जुलाई: -1.90%) रही ।
- सब्जियों की कीमतों में गिरावट -15.92% (जुलाई: -20.69%) और दालों में -14.53% (जुलाई: -13.76%) रही ।
- ग्रामीण और शहरी महंगाई में वृद्धि
- ग्रामीण रिटेल महंगाई 1.18% से बढ़कर 1.69% हो गई ।
- शहरी रिटेल महंगाई 2.10% से बढ़कर 2.47% पर पहुंच गई ।
- राज्यवार महंगाई दर
- केरल में सबसे अधिक रिटेल महंगाई दर 9.04% दर्ज की गई ।
- असम में सबसे कम महंगाई दर -0.66% रही ।
- अन्य राज्यों में कर्नाटक (3.81%), जम्मू-कश्मीर (3.75%), और पंजाब (3.51%) में महंगाई दर ऊंची रही .
- विभिन्न क्षेत्रों में महंगाई की स्थिति
- ईंधन और प्रकाश: 2.43% (जुलाई: 2.67%) .
- आवास: 3.09% (जुलाई: 3.17%) .
- स्वास्थ्य सेवाएं: 4.40% (जुलाई: 4.57%) .
- परिवहन और संचार: 1.94% (जुलाई: 2.12%)
रिटेल महंगाई बढ़ने के प्रमुख कारण
- खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि: सब्जियों, मांस, मछली, अंडे, तेल और वसा जैसे उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी ने महंगाई को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई ।
- बेस इफेक्ट का कमजोर होना: पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कीमतों में बदलाव का प्रभाव कमजोर होना ।
- मौसमी कारक: भारी बारिश और बाढ़ ने खरीफ फसल की पैदावार और आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया ।
- वैश्विक कारक: कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने ईंधन और परिवहन लागत को प्रभावित किया .
RBI की भूमिका और भविष्य के अनुमान
- RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई अनुमान को 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया है।
- RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर 2025 के बीच होनी है ।
- अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महंगाई दर के RBI के लक्ष्य के भीतर रहने से ब्याज दरों में तत्काल कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है ।
भविष्य की Outlook
- GST दरों में कटौती के प्रभाव से अक्टूबर 2025 के बाद महंगाई दर पर नरम पड़ने का दबाव बन सकता है ।
- खरीफ फसल की अच्छी बुवाई के बावजूद, भारी बारिश और बाढ़ का असर उत्पादन और कीमतों पर पड़ सकता है ।
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में औसत महंगाई दर 3.1% रह सकती है .
आम आदमी पर प्रभाव
- महंगाई दर के बढ़ने से आम उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति प्रभावित हो सकती है ।
- खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि से रसोई का खर्च बढ़ सकता है ।
- RBI द्वारा ब्याज दरों को स्थिर रखने से ऋण की लागत में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने की संभावना है।
नोट: यह जानकारी सरकारी आंकड़ों और विशेषज्ञों के विश्लेषण पर आधारित है। आगे की स्थिति मौसम, वैश्विक बाजार और सरकारी नीतियों जैसे कारकों पर निर्भर करेगी।