इंदौर का वायरल विवाद: इंदौर महापौर के बेटे ने सीएम के सामने रेलवे की खोली पोल, कांग्रेस-भाजपा में छिड़ी बहस!
इंदौर: देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में आयोजित एक वाद-विवाद प्रतियोगिता ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव ने गुरुवार (4 सितंबर, 2025) को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और अन्य भाजपा नेताओं की मौजूदगी में केंद्र सरकार की रेलवे नीतियों पर जमकर हमला बोला। उनके भाषण ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया, जिसके बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस छिड़ गई ।
इंदौर महापौर के बेटे संघमित्र के भाषण की मुख्य बातें
संघमित्र ने अपने भाषण में रेलवे से जुड़ी कई नाकामियों को उजागर किया:
1. बुलेट ट्रेन का वादा पूरा न होना:
- “2022 तक अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन का वादा किया गया था, लेकिन 2025 आ गया और ट्रेन अभी भी पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन तक सीमित है। जमीन अधिग्रहण में घोटाले हुए, करोड़ों रुपये बर्बाद हुए” ।
2. रेल हादसों में जानहानि:
- “कवच तकनीक के बावजूद पिछले 10 साल में 20,000 लोग रेल हादसों में मारे गए। जब ट्रेन पटरी से उतरती है, तो किसी मां की गोद सूनी हो जाती है” ।
3. स्टेशन विकास की धीमी गति:
- “400 स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा बनाने का वादा था, लेकिन केवल 20 बने हैं। चमकते बोर्ड तो हैं, लेकिन पीने का पानी महंगा है” ।
4. बजट का दुरुपयोग:
- “CAG रिपोर्ट के अनुसार, 1.25 लाख करोड़ के बजट का 80% अधूरा है। सुरक्षा फंड का 78% हिस्सा डायवर्ट किया गया” ।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, “संघमित्र एक प्रभावशाली वक्ता हैं। उनके भाषण में रखे तथ्यों से मैं सहमत हूं” ।
- कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, “सच का रास्ता मत छोड़ो। आज के दौर में झूठे और चापलूसों का बोलबाला है” ।
भाजपा का रुख:
- मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया, “कांग्रेस एक शैक्षणिक प्रतियोगिता का राजनीतिकरण कर रही है। संघमित्र ने विपक्ष की भूमिका निभाई, जैसे अभिनेता रावण की भूमिका निभाता है” ।
- विधायक पुत्र नीरज पटेल ने कहा, “यह प्रतियोगिता विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए थी, लेकिन कांग्रेस इसे बदनाम कर रही है” ।
- डॉ. मोहन यादव ने संघमित्र की वाक्पटुता की तारीफ की, लेकिन कहा, “कुछ आंकड़ों में सुधार की जरूरत है” ।
विवाद की अन्य खास बातें
लाइव स्ट्रीमिंग रोकी गई:
- विवाद से बचने के लिए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग से संघमित्र के भाषण का हिस्सा हटा दिया गया ।
महापौर की असहजता:
- पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, “मैंने बेटे को तैयारी नहीं कराई। यह उसकी अपनी सोच है” ।
भाषण का वीडियो Twitter और Facebook पर तेजी से फैला, जिसमें यूजर्स ने संघमित्र की “साहसिक” आलोचना की सराहना की ।
प्रतियोगिता का संदर्भ
यह आयोजन पूर्व वन मंत्री स्व. निर्भय सिंह पटेल की स्मृति में किया गया था। प्रतियोगिता में 60 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें संघमित्र ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और 10,000 रुपये का पुरस्कार जीता । विषय थे: कृषि, रेल और खेल मंत्रालयों के कार्यों का मूल्यांकन।
क्या है आगे की राह?
यह घटना भारत में युवाओं की राजनीतिक जागरूकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक उदाहरण है। जहां कांग्रेस ने इसे “सत्य का प्रतिबिंब” बताया, वहीं भाजपा ने इसे “प्रतियोगिता की भावना का दुरुपयोग” कहा। संघमित्र का भाषण इस बात का संकेत है कि युवा पीढ़ी देश की समस्याओं से अवगत है और सवाल पूछने से नहीं हिचकती। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाद राजनीतिक बहस का हिस्सा बनता है या शैक्षणिक चर्चा तक सीमित रहता है।
“सच बोलने की राह मत छोड़ो। आज के दौर में झूठों और चापलूसों का बोलबाला है, लेकिन तुम्हारी सोच अंधेरे को उजियारा दे सकती है” – केके मिश्रा, कांग्रेस प्रवक्ता