मणिपुर संकट: SoO समझौता पर मैतेईों का गुस्सा, कुकियों की निराशा और PM मोदी की चुनौती!
नई दिल्ली: मणिपुर में 856 दिनों से जारी जातीय हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने कुकी-जो समूहों के साथ 4 सितंबर 2025 को नया सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौता किया है। इस समझौते ने मैतेई समुदाय में तीखी नाराजगी पैदा की है, तो कुकी समुदाय को यह “नाकाफी” लग रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 13 सितंबर को मणिपुर दौरा (हिंसा के बाद पहला) सभी की नजरों में एक “आखिरी उम्मीद” बन गया है ।
SoO समझौता: क्या है पूरा मामला?
SoO (Suspension of Operations) समझौता 2008 में केंद्र सरकार और कुकी उग्रवादी समूहों के बीच हुआ एक संघर्ष विराम समझौता है। इसकी मुख्य शर्तें हैं :
- हिंसा रोकना: उग्रवादी समूह हिंसक गतिविधियाँ बंद करेंगे और निर्धारित शिविरों में रहेंगे।
- हथियार जमा: हथियार डबल-लॉकिंग सिस्टम में सुरक्षित रखे जाएँगे।
- वित्तीय सहायता: शिविरों में रहने वालों को 5,000 रुपये मासिक भत्ता दिया जाता है।
- निगरानी: संयुक्त निगरानी समूह (JMG) समझौते की निगरानी करेगा।
नए समझौते (4 सितंबर 2025) की प्रमुख बातें:
- NH-2 फिर से खोला गया: यह मणिपुर को नगालैंड से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण राजमार्ग है, जो मई 2023 से बंद था ।
- शिविरों की संख्या घटाई जाएगी और हथियार CRPF/BSF कैंपों में स्थानांतरित किए जाएँगे ।
- उग्रवादियों का शारीरिक सत्यापन होगा ताकि विदेशी नागरिकों की पहचान की जा सके ।
मैतेई समुदाय क्यों नाराज है?
- एकतरफा समझौा: मैतेई नेता मानते हैं कि सरकार ने कुकी समूहों के साथ अलग से समझौता करके “मणिपुर की अखंडता” को नजरअंदाज किया है ।
- अलग प्रशासन की आशंका: मैतेई समुदाय कुकियों की “अलग प्रशासन” की मांग को राज्य के विभाजन के रूप में देखता है और इसका सख्त विरोध करता है ।
- PM मोदी की देरी: एक मैतेई नेता के अनुसार, “PM मोदी 2 साल 4 महीने बाद आ रहे हैं, जब सब कुछ बर्बाद हो चुका है” ।
कुकी समुदाय क्यों निराश है?
- अलग प्रशासन की मांग ठुकराई गई: कुकी समूह लंबे समय से मणिपुर से अलग एक “कुकीलैंड प्रादेशिक परिषद” की मांग कर रहे थे, जिसे समझौते में शामिल नहीं किया गया ।
- पुनर्वास का अभाव: एक कुकी छात्र नेता ने कहा, “हमारे हज़ारों घर जल गए, लेकिन स्थायी शांति के लिए कुछ नहीं किया गया” ।
- समझौता अपर्याप्त: कुकी नेता मानते हैं कि समझौता उनकी उम्मीदों से “काफी कम” है और यह केवल एक “शुरुआत” भर है ।
PM मोदी के दौरे की उम्मीदें और चुनौतियाँ
प्रधानमंत्री 13 सितंबर को मणिपुर के इंफाल (मैतेई बहुल) और चुराचांदपुर (कुकी बहुल) दोनों क्षेत्रों का दौरा करेंगे। इस दौरे को लेकर अलग-अलग अपेक्षाएँ हैं :
- कुकी समुदाय उम्मीद करता है कि PM उनके “दर्द को समझेंगे” और ठोस कदम उठाएँगे।
- मैतेई समुदाय चाहता है कि PM “दोनों समुदायों को साथ लेकर चलें” और एकतरफा रवैया न अपनाएँ।
- राजनीतिक दल चाहते हैं कि दौरा “फोटो सेशन तक सीमित न रहे” बल्कि ठोस समाधान निकले ।
समाधान की राह: क्या हैं संभावनाएँ?
- क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखना: दोनों समुदायों को मणिपुर की अखंडता पर सहमत होना होगा ।
- संवाद जारी रखना: केंद्र को मैतेई समूहों (जैसे COCOMI, AMUCO) के साथ भी बातचीत तेज करनी होगी ।
- सुरक्षा बढ़ाना: भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग और NRC जैसे उपायों से घुसपैठ रोकनी होगी ।
- पुनर्वास: हिंसा में विस्थापित हुए लोगों के लिए चरणबद्ध पुनर्वास योजना जरूरी है ।
पृष्ठभूमि: मणिपुर हिंसा का इतिहास
- मई 2023: मणिपुर हाई कोर्ट के ST दर्जे के आदेश के बाद मैतेई-कुकी संघर्ष शुरू ।
- नागा-कुकी विवाद: 1990 के दशक से नागा और कुकी समूह “नगालिम” क्षेत्र को लेकर संघर्षरत हैं ।
- जानहानि: अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं ।
अब आगे क्या?
SoO समझौता एक “राजनीतिक शुरुआत” भर है, जिसे जमीन पर उतारने के लिए दोनों समुदायों का भरोसा जीतना जरूरी है। PM मोदी का दौरा एक “सुनहरा मौका” है ताकि वे सीधे लोगों से रूबरू हों और एक सामूहिक रोडमैप तैयार करें। हालाँकि, देरी से आई इस पहल पर संशय बना हुआ है। विशेषज्ञ मानते हैं कि “शांति की प्रक्रिया तभी पूरी होगी जब राजनीतिक मांगों का समाधान होगा” ।
“मणिपुर की शांति के लिए सरकार को दोनों समुदायों के साथ समान व्यवहार करना होगा। एकतरफा समझौते संघर्ष बढ़ाएँगे, घटाएँगे नहीं।” – स्थानीय विश्लेषक