नई दिल्ली, 14 मई | स्मार्ट खबरी न्यूज़ डेस्क: पूरे देश मे आज बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की घर वापसी पर खुशी है। पिता और पत्नी ने सरकार को दिया धन्यबाद। पढ़े कैसे संभव हुई बीएसएफ के जवान पूर्णम कुमार शॉ की रिहाई।
14 मई 2025 की सुबह, भारत के लिए एक राहत और गर्व का पल लेकर आई। बीएसएफ के जवान पूर्णम कुमार शॉ, जिन्हें 23 अप्रैल को गलती से सीमा पार करने के बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था, आखिरकार 20 दिन बाद अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत लौट आए। उनकी सुरक्षित वापसी, न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक भावनात्मक और कूटनीतिक जीत है।
गलती से सीमा पार कर गए बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ
23 अप्रैल को, पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनात 182वीं बटालियन के कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ, ड्यूटी के दौरान एक पेड़ की छांव में आराम करने के लिए आगे बढ़े। इस दौरान, वे अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए और पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा हिरासत में ले लिए गए । इस घटना ने उनके परिवार और पूरे देश को चिंता में डाल दिया।
जानिए कहा के पैतृक निवासी है बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के ऋषड़ा के पैतृक निवासी पूर्णम कुमार की पत्नी, रजनी शॉ, इस कठिन समय में अपने पति की वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही थीं। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मदद की गुहार लगाई, जिन्होंने उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया । रजनी ने कहा, “मैंने कई बार अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन जब तक मेरे पति वापस नहीं आते, तब तक कोई आश्वासन मुझे संतुष्टि नहीं देगा।”
बेटे की वापसी पर क्या कहा पिता ने?
भारत-पाकिस्तान तनाव बीते 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद से तेज हो गया। भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया तो तनाव और अधिक बढ़ गया। जिसके बाद से जवान के परिजन बिलख पड़े। परिजनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व केंद्र सरकार से बेटी की सलामती व घर वापसी के लिए गुहार लगाई।
बेटे की वतन वापसी पर भावुक होकर पिता भोला नाथ शॉ ने कहा कि, मैं केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मेरे बेटे को पाकिस्तान से रिहा कराया। बेटा अब वापिस अपने वतन आ रहा है, मैं चाहूंगा कि वह एक बार फिर देश की सेवा करे।
डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद रिहाई हुई संभव
भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच 12 मई को हुई बातचीत ने इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाई। दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और किसी भी आक्रामक कार्रवाई से बचने पर सहमति जताई । इस बातचीत के परिणामस्वरूप, पाकिस्तान ने पूर्णम कुमार शॉ को रिहा करने का निर्णय लिया।
वतन वापसी पर जवान का स्वागत
14 मई को सुबह 10:30 बजे, अटारी-वाघा बॉर्डर पर पूर्णम कुमार शॉ को भारतीय अधिकारियों को सौंपा गया । बीएसएफ ने एक बयान में कहा, “कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तान से वापस लिया गया है।” उनकी वापसी के बाद, उन्हें मेडिकल जांच और पूछताछ के लिए ले जाया गया।
जवान की पत्नी ने सरकार को दिया धन्यबाद।
बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की पत्नी रजनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने मेरे सुहाग को वापस लाया।” उनकी यह भावनात्मक प्रतिक्रिया पूरे देश के दिल को छू गई ।
कूटनीतिक सफलता।
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करता है। डीजीएमओ स्तर की बातचीत और सरकार की तत्परता ने इस मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह घटना भविष्य में भी दोनों देशों के बीच संवाद और शांति बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की वापसी एक परिवार की उम्मीद, एक देश की प्रतिबद्धता और कूटनीतिक सफलता की कहानी है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारे जवानों की सुरक्षा और सम्मान सर्वोपरि है, और देश उनके लिए हमेशा खड़ा रहेगा। बता दे, जवान की वतन वापसी के लिए सोशल मीडिया पर यूजर सरकार से मांग कर रहे थे। आज उनकी यह मांग पूरी हो गई।