UP Panchayat Election 2026: 504 ग्राम पंचायतों का विलय, अप्रैल में होगा ऐतिहासिक मतदान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अप्रैल 2026 में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों (UP Panchayat Election 2026) के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। पंचायती राज विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, राज्य में अब 57,695 ग्राम पंचायतें रह गई हैं, जो पहले 58,199 थीं। इसका कारण 504 ग्राम पंचायतों का शहरी निकायों में विलय या पुनर्गठन है । विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब चुनाव पूर्व ग्राम पंचायतों की संख्या में कोई बदलाव नहीं होगा।

🔍 UP Panchayat Election 2026: प्रमुख बदलाव और चुनाव प्रक्रिया

  1. पुनर्गठन का आधार:
  • शहरी विस्तार के कारण कई ग्राम पंचायतें नगर निगम/पालिका सीमाओं में शामिल हो गईं, जिससे उनकी जनसंख्या मानदंडों से कम हो गई।
  • इन्हें हटाकर निकटवर्ती पंचायतों में समायोजित किया गया है। इससे प्रशासनिक दक्षता और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा ।
  1. चुनाव कार्यक्रम:
  • अप्रैल-मई 2026 में त्रिस्तरीय चुनाव होंगे, जिसमें 57,691 ग्राम प्रधान, 826 ब्लॉक प्रमुख, 75 ज़िला पंचायत अध्यक्ष और 3,200 ज़िला पंचायत सदस्य चुने जाएंगे ।
  • राज्य निर्वाचन आयोग ने मतपेटिकाओं की खरीद के लिए ई-टेंडर जारी कर दिए हैं और जून 2025 से मतदाता सूची अद्यतन का काम शुरू होगा ।

तैयारियों की समयसीमा:

कार्यसमयसीमा
मतदाता सूची अद्यतनजून-दिसंबर 2025
आरक्षण प्रक्रियाजनवरी 2026
चुनाव अधिसूचनामार्च 2026
मतदानअप्रैल-मई 2026

⚔️ राजनीतिक महत्व: 2027 विधानसभा की “अर्धफाइनल”

  • ग्रामीण प्रभुत्व का संकेत: यूपी की 269 विधानसभा सीटें (कुल का दो-तिहाई) ग्रामीण क्षेत्रों में आती हैं। 2021 के पंचायत चुनावों में जिन क्षेत्रों में किसी पार्टी ने जीत हासिल की, वहाँ 2022 के विधानसभा चुनावों में भी उसका प्रभुत्व रहा ।
  • पार्टियों की रणनीति:
  • भाजपा: निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देकर ज़िला अध्यक्ष पदों पर कब्ज़ा करने की योजना। सहयोगी दलों (जैसे अपना दल-एस) का अलग चुनाव लड़ना चुनौती बन सकता है ।
  • सपा: “पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक” समीकरण पर फोकस। कानून-व्यवस्था और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों को उठाने की तैयारी ।
  • बसपा: दलित बहुल इलाकों में पकड़ मज़बूत करने के लिए संगठन को पुनर्जीवित कर रही है ।

🗺️ परिसीमन: नई चुनौतियाँ

  • बरेली जैसे ज़िलों में प्रभाव: 5 ग्राम पंचायतों के शहरी निकायों में विलय से वहाँ चुनाव नहीं होंगे। इससे बीडीसी सदस्यों की संख्या 1467 से घटकर 1,462 रह गई है ।
  • वार्ड पुनः परिसीमन: ग्राम और क्षेत्र पंचायत वार्डों की सीमाओं को जनसंख्या अनुसार समायोजित किया जा रहा है। ज़िला पंचायत वार्डों के क्षेत्र बदलेंगे, लेकिन संख्या वही रहेगी ।

📢 विपक्ष की चिंताएँ और ऐतिहासिक संदर्भ

  • 2021 के सबक: भाजपा ने ज़िला पंचायत सदस्य चुनाव में केवल 543 सीटें जीतीं, लेकिन निर्दलीय विजेताओं (1,061 सीटों पर) के समर्थन से 75 में से 67 ज़िला अध्यक्ष पद हासिल किए। इसने साबित किया कि पार्टी प्रतीक न होने के बावजूद सत्ता का प्रबंधन निर्णायक होता है ।
  • चुनावी झटके: 2021 में केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर और सांसद रीना चौधरी जैसे नेता पंचायत चुनाव हार गए थे, जो दर्शाता है कि ग्रामीण मतदाता स्थानीय मुद्दों पर ही निर्णय करते हैं ।

🚨 UP Panchayat Election 2026: ग्रामीण सत्ता की दिशा तय करेगा चुनाव

यूपी पंचायत चुनाव 2026 न केवल स्थानीय शासन के लिए, बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव की राजनीतिक दिशा तय करने के लिए अहम है। प्रशासनिक पुनर्गठन और मतदाता सूची अद्यतन जैसे कदम चुनावों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हैं, जबकि पार्टियाँ अपने संगठनात्मक प्रभाव का परीक्षण कर रही हैं। ग्रामीण यूपी का यह जनादेश राज्य की राजनीति में नए समीकरणों की नींव रखेगा।

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