Uttar Pradesh

ठाकुरों ने दलित की बारात में किया तांडव: महिलाओं को भी नही बख्शा

यूपी में ठाकुरों ने दलित की बारात में ऐसा तांडव किया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। लेकिन मनबढ़ ठाकुरों ने पुलिस की भी नही सुनी, उल्टे पुलिस पर ही हाथापाई शुरू कर दी। इन मनबढ़ ठाकुरों ने दलित महिलाओं को भी नही बख्शा और थप्पड़ों की बरसात कर दी। 100 से अधिक पुलिस के जवान तमाशबीन बने रहे। वही इस घटना में एक सिपाही गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे चिकित्सकों ने आगरा रेफर किया।

एटा (उत्तर प्रदेश) 22 जून 2025 | उत्तर प्रदेश के एटा जिले के ढकपुरा गांव में शनिवार रात एक दलित परिवार की शादी में जातिगत तनाव उस समय भड़क गया। जब ठाकुरों ने दलित की बारात को गांव के मुख्य मार्ग से गुजरने से रोक दिया, जिसके बाद धक्का-मुक्की और पथराव हुआ।

पुलिस की मौजूदगी में भी हंगामा रुका नहीं, इस घटना में एक सिपाही गंभीर रूप से घायल हो गया। अंततः 100 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बाद रात 12 बजे शादी संपन्न कराई गई, लेकिन घटना ने सामाजिक समरसता और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर एक बार फिर यूपी में जातिगत भेदभाव को उजागर कर दिया।

🚨 घटनाक्रम: ठाकुरों ने दलित की बारात में क्यों किया तांडव?

  1. बारात रोकने का प्रयास:
  • दलित दुल्हन आरती (19) की शादी हाथरस निवासी विकास (20) से तय थी। शनिवार रात 8 बजे जब 60-70 बाराती गांव के मुख्य रास्ते से गुजर रहे थे, तभी ठाकुर बिरादरी के 25-30 लोगों ने जबरन बारात रोक दी।
  • ठाकुरों का तर्क था: “दलित बिरादरी की बारात पूरे गांव में क्यों घूमेगी?” जबकि दलित परिवार के सतपाल ने विरोध जताया: “सबकी बारात यहां से गुजरती है, फिर हमें क्यों रोका जा रहा है?” ।
  1. हिंसा और पुलिस हस्तक्षेप:
  • ठाकुरों के विरोध के बाद दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई और जमकर पत्थरबाजी होने लगी। इस पत्थरबाजी में एक पत्थर सिपाही सुनील कुमार के सिर पर जा लगा, जिससे वह गंभीर रूप से चोटिल हो गया।
  • हालात नियंत्रण से बाहर होते देख अवागढ़, सकरौली, निधौली और जलेसर थानों से 100 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए। घटना की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी श्याम नारायण सिंह स्वयं मौके पर पहुंचे ।
ठाकुरों ने दलित की बारात में किया तांडव: महिलाओं को भी नही बख्शा। घायल पुलिस का सिपाही।
  1. आधी रात में हुई शादी:
  • तीन घंटे के तनाव के बाद पुलिस सुरक्षा में रात 12 बजे शादी संपन्न हुई। लेकिन तब तक ठाकुरों के तांड़व को देखकर अधिकांश बाराती डरकर भाग गए—मात्र 7-8 लोग ही मौजूद रहे ।

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⚖️ दलितों ने लगाएं गंभीर आरोप:

  • पुलिस की “एकपक्षीय कार्रवाई”:
    दुल्हन की रिश्तेदार सोनी ने बताया कि पुलिस ने ठाकुरों के बजाय दलित परिवार के लोगों को हिरासत में लिया। घटना स्थल से कुछ युवकों को थाने ले जाया गया, जबकि ठाकुरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई ।
  • महिलाओं पर थप्पड़ और बंधक बनाने का आरोप:
    दुल्हन की छोटी बहन गुंजन ने राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के पुत्र रणजीत सुमन से शिकायत करते हुए कहा कि:

“पुलिस ने मेरे कान पर 2-3 थप्पड़ मारे। जब मेरी बड़ी बहन ने वीडियो बनाना चाहा, तो उन्हें भी पीटा गया। हमें घसीटकर बंधक बनाया गया और शादी के बाद छोड़ा।”
परिवार का यह भी आरोप था कि पुलिस ने ठाकुरों से ₹1 लाख रिश्वत ली ।

  • मौके पर नही थी महिला कांस्टेबल:
    दलितों ने जोर देकर कहा कि रात में घर में घुसने वाली टीम में एक भी महिला कांस्टेबल नहीं थी, जिससे महिलाओं के साथ जबरदस्त दुर्व्यवहार हुआ ।

🗣️ प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया:

  • एसएसपी का बयान:
    श्याम नारायण सिंह ने स्वीकार किया कि दलित बारात को गांव में ले जाने को लेकर ठाकुरों और जाटव समुदाय के बीच विवाद हुआ। पथराव में सिपाही के घायल होने की पुष्टि करते हुए उन्होंने जांच का आश्वासन दिया ।
  • रणजीत सुमन की पहल:
    सपा नेता और पूर्व विधायक ने घटना को “पुलिस संरक्षण में दलित उत्पीड़न” बताया। उन्होंने चेतावनी दी: “जब तक दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, हमारा संघर्ष जारी रहेगा” ।
  • पहले भी ठाकुर कर चुके है तांडव:
    ढकपुरा गांव में 25-30 दलित और 75-80 ठाकुर परिवार रहते हैं। खोज परिणामों से पता चलता है कि एटा के इसी क्षेत्र में जून 2025 में ऐसी दो अन्य घटनाएं हुईं, जहाँ दलित बारातों को ठाकुरों ने रोका ।

💡 सामाजिक-प्रशासनिक चुनौतियाँ

  1. जातिगत भेदभाव की जड़ें:
    बता दे, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में दलितों द्वारा घोड़ी पर चढ़कर बारात निकालना उच्च जातियों को “अस्वीकार्य” है। यह घटना इसी मानसिकता को उजागर करती है।
  2. पुलिस की विफलता:
    पीड़ित परिवार के अनुसार, पुलिस ने ठाकुरों को रोकने के बजाय हिंसा को बढ़ावा दिया। दलित समाज ने आरोप लगाया कि:
  • महिलाओं की गिरफ्तारी में बल प्रयोग
  • ठाकुरों के खिलाफ कार्रवाई में ढील
  • घटनास्थल पर महिला कर्मियों की अनुपस्थिति ।
  1. राजनीतिक उपेक्षा:
    समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि दलित-पिछड़ों की एकता के बिना ऐसे हमले नहीं रुकेंगे। वावजूद इसके सरकार का इस ओर ध्यान नही है। जिस कारण आये दिन जातिगत भेदभाव व इससे जुड़ी घटनाएं कारित हो रही है।

एटा की यह घटना कोई नई घटना नही है। देश मे दलितों पर आज भी अत्याचार हो रहे है। एमपी में एक दलित के ऊपर ऊंची जाति वालो ने पेशाब तक कर दिया। यूपी में बमई कांड भी जातिगत भेदभाव का नतीजा रही है। वावजूद इसके वर्षो से दलितों पर हो रहा अत्याचार रुकने का नाम ही नही ले रहा। पुलिस द्वारा शादी कराना तात्कालिक समाधान था, लेकिन ठाकुरों के खिलाफ कार्रवाई का अभाव और पीड़ित परिवार पर ही दमन के आरोप न्याय प्रक्रिया पर संदेह पैदा करते हैं। जब तक प्रशासन संवेदनशीलता से काम नहीं लेगा और सामाजिक समरसता के प्रयास नहीं होंगे, ऐसी घटनाएँ थमने वाली नही है।

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