Uttar Pradesh

कानपुर के मंगत खेड़ा गांव में दलित युवक को दबंगों ने लोहे की रॉड से पीट-पीटकर उतारा मौत के घाट।

यूपी के कानपुर के मंगत खेड़ा गांव में दलित युवक को दबंगों ने लोहे की रॉड से पीट-पीटकर हत्या कर दी, इसके पहले दबंगो ने युवक को जबरन शराब पिलाई। घटना गुरुवार की आज आई प्रकाश में। सरकारी मशीनरी पर उठ रहे सवाल।

मंगत खेड़ा गांव में दलित युवक को दबंगो ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला

कानपुर देहात (उत्तर प्रदेश) 06 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के मंगत खेड़ा गांव में गुरुवार सुबह एक ऐसी घटना घटी, जिसने न सिर्फ एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे गांव में दहशत और आक्रोश की लहर दौड़ा दी। 30 वर्षीय दीनू पासवान, जो अपने परिवार का इकलौता सहारा था, को गांव के दबंगों ने पहले शराब पिलाई और फिर लोहे की रॉड से बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। यह हत्या पुरानी रंजिश का नतीजा थी, जिसने एक गरीब दलित परिवार की जिंदगी को हमेशा के लिए अंधेरे में धकेल दिया।

मंगत खेड़ा गांव में दलित युवक को दबंगो ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला

जानिए, पूरा मामला!

गुरुवार की सुबह दीनू पासवान अपने घर से शटरिंग के काम के लिए निकला था। उसकी पत्नी संगीता, जो आठ महीने की गर्भवती है, और उनके तीन मासूम बच्चे—12 साल की राधिका, 6 साल का आदित्य और 2 साल की रिया—उसके लौटने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन दीनू को नहीं पता था कि यह सुबह उनकी जिंदगी की आखिरी सुबह होगी।

गांव के बाहर पहुंचते ही दबंग भइया लाल पटेल और उसके साथी दिलीप ने दीनू को रोक लिया। पहले तो उन्होंने उसे शराब पीने के लिए मजबूर किया। जब दीनू ने इसका विरोध किया, तो भइया लाल ने गाली-गलौज शुरू कर दी। विरोध करने पर दबंगों का गुस्सा और भड़क गया। दिलीप ने दीनू को पकड़ लिया, और भइया लाल ने लोहे की रॉड से उस पर ताबड़तोड़ वार किए। दीनू खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़ा। दबंगों ने उसे मरा समझकर वहीं छोड़ दिया और फरार हो गए।

बेटे को खून से लथपथ देख पिता हुए बेहोश

दीनू के पिता रामपाल उस समय खेतों में काम कर रहे थे, जब किसी ग्रामीण ने उन्हें इस भयावह घटना की सूचना दी। रामपाल दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे। उनका दिल तब टूट गया, जब उन्होंने अपने बेटे को खून में लथपथ और बेहोश पड़ा देखा। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, और रामपाल ने गांव वालों की मदद से दीनू को अस्पताल पहुंचाया। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार देर रात इलाज के दौरान दीनू ने दम तोड़ दिया।

कानपुर के मंगत खेड़ा गांव में दलित युवक को दबंगों ने लोहे की रॉड से पीट-पीटकर उतारा मौत के घाट।

दीनू की पत्नी संगीता का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कहती हैं, “मेरे पति को शराब पिलाकर दबंगों ने मार डाला। मेरे तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, मैं आठ महीने की गर्भवती हूं। अब मेरे बच्चों का भविष्य कौन संवारेगा? उनकी पढ़ाई, उनकी शादी… सब कुछ अधूरा रह गया।” संगीता ने बताया कि भइया लाल और उसके साथियों ने पहले भी दीनू के जेठ के साथ मारपीट की थी, जिसका दीनू ने विरोध किया था। यही विरोध दबंगों को नागवार गुजरा, और उन्होंने रंजिश में इस जघन्य हत्या को अंजाम दिया।

परिजनों और ग्रामीणों का फूटा गुस्सा।

दीनू की बहन आरती वर्मा की शिकायत पर पुलिस ने भइया लाल पटेल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया। शनिवार को पुलिस ने मुख्य आरोपी भइया लाल को गांव से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हालांकि, दूसरा आरोपी दिलीप अभी फरार है, और पुलिस उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है।

पोस्टमॉर्टम के बाद शनिवार देर रात जब दीनू का शव गांव पहुंचा, तो परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मुआवजे और सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। गांव में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। एडीसीपी पूर्वी अंजली विश्वकर्मा ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। रविवार सुबह परिजन दीनू का अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उनके दिलों में न्याय की आस अब भी बाकी है।

दबंगों का विरोध दलित की मौत का बना कारण।

यह हत्या सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय की एक दुखद मिसाल है। दीनू एक दलित परिवार से था, और दबंगों की मनमानी का शिकार हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि भइया लाल और उसके साथी लंबे समय से गांव में दबंगई करते आए हैं। पहले भी उन्होंने दीनू के जेठ के साथ मारपीट की थी, जिसके बाद दीनू ने उनका विरोध किया था। यह विरोध ही उनकी मौत का कारण बन गया।

संगीता के शब्द दिल को झकझोर देते हैं, “मेरे पति ने बस गलत का विरोध किया था। क्या यह गुनाह था? अब मेरे बच्चे अनाथ हो गए। मैं सरकार से न्याय और अपने बच्चों के भविष्य के लिए मदद मांगती हूं।”

दलित समुदाय का उत्पीड़न कब होंगा बंद: कब मिलेगा दलितों को इंसाफ?

इस घटना ने एक बार फिर दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा और दबंगों की मनमानी को उजागर किया है। कानपुर देहात में हाल के वर्षों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें दलित समुदाय को निशाना बनाया गया। प्रशासन ने भले ही मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या दीनू के परिवार को समय पर मुआवजा और न्याय मिलेगा? क्या गांव में दबंगों की मनमानी रुकेगी?

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मंगत खेड़ा गांव के दलित परिवार की पुकार..

दीनू का परिवार आज टूट चुका है। तीन मासूम बच्चों और गर्भवती पत्नी के सामने अनिश्चित भविष्य का पहाड़ खड़ा है। संगीता की आंखों में आंसुओं के साथ-साथ अपने बच्चों के लिए लड़ने का हौसला भी है। लेकिन इस हौसले को तब तक बल नहीं मिलेगा, जब तक समाज और प्रशासन उनके साथ मजबूती से खड़ा नहीं होगा।

यह घटना न सिर्फ मंगत खेड़ा गांव, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। जब तक सामाजिक भेदभाव और दबंगई के खिलाफ कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक दीनू जैसे निर्दोष अपनी जान गंवाते रहेंगे।

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