नई दिल्ली: प्रयागराज में घरों को गिराए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यह एक “अत्याचारी कदम” है और राज्य को लोगों के मकान वापस बनाने होंगे। जस्टिस अभय ओका और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सरकार की कार्रवाई को “गैर-कानूनी और चौंकाने वाला” बताया।
जाने, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को क्यों फटकारा
प्रयागराज में सरकार ने कथित रूप से गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की जमीन पर बने मकानों को तोड़ा था। लेकिन इस कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाओं और एक अन्य व्यक्ति ने चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि मार्च 2021 में शनिवार रात को नोटिस दिया गया और रविवार को घर गिरा दिए गए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। जहां सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ध्वस्त घरो को बनाने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने दावा किया कि लोगों को उत्तर देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। लेकिन जस्टिस ओका इससे असहमत थे। उन्होंने सवाल उठाया, “नोटिस इस तरह क्यों चिपकाया गया? कूरियर से क्यों नहीं भेजा गया?”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
- “कोई भी इस तरह नोटिस देगा और तोड़फोड़ करेगा। यह एक खराब उदाहरण है।”
- “राज्य सरकार को अपनी गलती स्वीकार करनी होगी।”
- “लोगों को फिर से घर देना होगा।”
सरकार की कार्रवाई पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट का यह रुख बताता है कि राज्य सरकार बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए बुलडोजर कार्रवाई कर रही है। कोर्ट का मानना है कि अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को जीवन और आश्रय का अधिकार है।
योगी सरकार के निशाने पर मुस्लिम समुदाय व खास जाति विशेष के लोग?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई, जिसके बाद एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया कि क्या यूपी की योगी सरकार मुस्लिम समुदाय व खास जाति विशेष के खिलाफ ही इस तरह की कार्रवाई कर रही है?
वही सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से यह स्पष्ट है कि बिना उचित प्रक्रिया अपनाए घरों को गिराना गैर-कानूनी है। अब देखना होगा कि क्या राज्य सरकार न्यायालय के निर्देशों का पालन करती है या फिर इस मुद्दे पर कोई नया मोड़ आता है।