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सिवान में खौफनाक तिहरा हत्याकांड: पुरानी रंजिश ने बुझाए तीन जिंदगियां, क्या है इस नरसंहार का सच?

बिहार के सिवान जिलें में हुए खौफनाक तिहरा हत्याकांड ने नीतीश सरकार की कलई खोल कर रख दी। इस खौफनाक तिहरा हत्याकांड ने बता दिया कि जंगलराज बिहार में किस कदर हावी है। बिहार के बीच सड़क पर खेली गई खून की होली ने बता दिया कि, ” बिहार की कानून-व्यवस्था का क्या हाल है?

सिवान में खौफनाक तिहरा हत्याकांड: एक रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात

बिहार का सिवान जिला, जो कभी अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता था, आजकल अपराध की खबरों से गूंज रहा है। 4 जुलाई 2025 को सिवान के भगवानपुर इलाके में हुए खौफनाक तिहरा हत्याकांड ने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी।

इस दिल दहला देने वाली घटना में पुरानी रंजिश और शराब के अवैध कारोबार ने तीन जिंदगियों को लील लिया, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

यह वारदात न केवल क्रूरता की पराकाष्ठा को दर्शाती है, बल्कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब कारोबार की जड़ों को भी उजागर करती है। आइए, इस घटना की पूरी कहानी को समझते हैं।

क्या हुआ था उस दिन?

4 जुलाई 2025 की दोपहर, सिवान के भगवानपुर इलाके में उस समय खून की होली खेली गई, जब कुछ हमलावरों ने तलवारों और हथियारों से पांच लोगों पर बेरहमी से हमला कर दिया। यह हमला इतना क्रूर था कि तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों की पहचान अभी तक पूरी तरह सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सभी पीड़ित 20 से 30 साल की उम्र के थे और एक ही परिवार से ताल्लुक रखते थे।

प्रारंभिक जांच में पुलिस ने बताया कि यह हमला पुरानी रंजिश का नतीजा था, जिसमें अवैध शराब कारोबार का भी गहरा कनेक्शन सामने आ रहा है। कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि मृतकों ने शराब माफियाओं का विरोध किया था, जिसके चलते उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि, यह जानकारी अभी पुष्ट नहीं है, लेकिन यह इलाके में शराब माफियाओं के बढ़ते दबदबे की ओर इशारा करती है।

घटना का खौफनाक मंजर

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने पहले गोलीबारी की, फिर तलवारों से पीड़ितों पर वार किए और अंत में गाड़ी से रौंदने की कोशिश की। यह क्रूरता ऐसी थी कि गांव में दहशत का माहौल बन गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि हमले के बाद चीख-पुकार से पूरा इलाका गूंज उठा। घायलों को तुरंत सिवान सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां दो लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है।

इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया, बल्कि पुलिस प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए। ग्रामीणों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया, जिसके चलते भगवानपुर थाने के थानेदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

शराब माफिया का काला खेल

बिहार में शराबबंदी लागू होने के बावजूद अवैध शराब का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। सिवान और आसपास के जिलों में पहले भी जहरीली शराब से मौत के मामले सामने आ चुके हैं। अक्टूबर 2024 में सिवान, सारण और गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से 53 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें सिवान में अकेले 39 लोग मारे गए थे। इस तिहरे हत्याकांड में भी शराब माफिया का नाम सामने आ रहा है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या शराबबंदी का कानून केवल कागजों तक सीमित रह गया है?

स्थानीय लोगों का कहना है कि शराब माफिया न केवल अवैध शराब का कारोबार चला रहे हैं, बल्कि इसका विरोध करने वालों को डराने-धमकाने और जान से मारने तक का काम कर रहे हैं। इस घटना में भी मृतकों द्वारा शराब माफियाओं का विरोध करना उनकी मौत का कारण बना।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

घटना के बाद सिवान पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भारी पुलिस बल को इलाके में तैनात किया। तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा बल बुलाए गए ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि, अभी तक कोई ठोस गिरफ्तारी या बड़ा खुलासा नहीं हुआ है।

पुलिस अधीक्षक ने प्रेस को बताया कि जांच में पुरानी रंजिश और शराब कारोबार के एंगल को गंभीरता से देखा जा रहा है। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस हमले में कोई बड़ा माफिया या संगठित गिरोह शामिल था।

स्थानीय लोगों में दहशत, प्रशासन पर सवाल

इस हत्याकांड के बाद भगवानपुर और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। लोग अपने घरों से निकलने में डर रहे हैं, और कई परिवार अपने बच्चों को गांव से बाहर भेजने की तैयारी कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती, तो शायद यह नौबत न आती।

इस घटना ने बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शराबबंदी के दावे खोखले साबित हो रहे हैं, और माफियाओं का बोलबाला बढ़ता जा रहा है।

क्या है सिवान की पृष्ठभूमि?

सिवान, जो भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का गृहनगर है, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह अपराध और माफिया गतिविधियों का गढ़ बनता जा रहा है। सिवान में पहले भी कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें माफिया सरगनाओं का नाम उछला है। इस तिहरे हत्याकांड ने एक बार फिर सिवान को सुर्खियों में ला दिया, लेकिन इस बार वजह बेहद दुखद है।

यह तिहरा हत्याकांड न केवल सिवान, बल्कि पूरे बिहार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। सरकार और पुलिस प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि वे इस मामले में सख्त कार्रवाई करें और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाएं। साथ ही, शराब माफियाओं के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान चलाने की मांग उठ रही है।

स्थानीय लोग अब यह उम्मीद कर रहे हैं कि इस घटना के बाद प्रशासन कुछ ठोस कदम उठाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी वारदातें न हों। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार और पुलिस इस चुनौती से निपट पाएंगे, या सिवान में अपराध का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?

क्या कहता है बिहार का यह खौफनाक तिहरा हत्याकांड

सिवान का यह तिहरा हत्याकांड एक बार फिर बिहार में बढ़ते अपराध और शराब माफियाओं के दबदबे की कड़वी सच्चाई को सामने लाया है। तीन युवा जिंदगियों का अंत और दो लोगों की गंभीर हालत ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। अब यह जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है कि वे इस मामले की गहराई तक जांच करें और दोषियों को कठोर सजा दिलाएं। साथ ही, शराबबंदी को प्रभावी बनाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।

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