Caste Census 2025: 1947 के बाद पहली बार जातिगत जनगणना को कैबिनेट की मंजूरी, जानें पूरी प्रक्रिया
नई दिल्ली, [30 अप्रैल] – केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जातिगत जनगणना (Caste Census) को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। यह 1947 के बाद देश की पहली व्यापक जाति जनगणना होगी।
वही विपक्ष ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। बता दे, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, टीएमसी सहित तमाम विपक्षी दल लंबे समय से Caste Census की मांग करते रहे है। मालूम हो 2011 में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जनगणना हुई थी। उसके बाद से अब तक नही हुई।
Caste Census: अंग्रेजों ने 1881 में शुरू की थी परंपरा
भारत में जातिगत जनगणना की शुरुआत 1881 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। यह प्रक्रिया 1931 तक नियमित रूप से जारी रही। 1941 में जातिगत जनगणना तो हुई, लेकिन उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए। आजादी के बाद से अब तक देश में व्यापक जाति जनगणना नहीं हुई है।
भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद समाजिक भेदभाव व बिहार सरकार द्वारा जातिय जनगणना कराए जाने के बाद विपक्ष लगातार इसकी मांग कर रहे थे। आखिरकार आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसकी मंजूरी दे दी।
लेकिन अभी भी लोगो के मन मे यह सवाल है कि आखिर Caste Census कब से शुरू होगी। ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि इस वर्ष सितंबर में शुरू होगी जो एक साल चलेगी। इस तरह सितंबर 2026 तक Caste Census हो सकती है और इसकी पूरी रिपोर्ट सितम्बर 2026 के बाद सार्वजनिक की जा सकती है।
जानकारों की माने तो, जातिय जनगणना कराते जाने की मांग को भाजपा ने मान कर विपक्षी से इसका क्रेडिट छीन लिया। आने वाले दिनों में बिहार और बंगाल में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में बीजेपी के पास इलेक्शन कैम्पेन में कहने के लिए Caste Census के रूप में एक मजबूत हथियार मिल गया।
2025-26 Caste Census: कब तक मिलेंगे आंकड़े?
- जातिगत जनगणना सितंबर 2025 में शुरू हो सकती है
- पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में 1 साल लगेगा
- अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में उपलब्ध होंगे
- 2011 में हुई आर्थिक जनगणना में SC की आबादी 16.6% और ST की 8.6% थी
जातिगत जनगणना 2025: क्या बदलेगा फॉर्मेट?
2011 तक जनगणना फॉर्म में कुल 29 कॉलम होते थे जिनमें केवल SC और ST कैटेगरी रिकॉर्ड की जाती थी। नए फॉर्मेट में:
- OBC सहित सभी जातियों के लिए अलग कॉलम जोड़े जाएंगे
- जनगणना अधिनियम 1948 में संशोधन की आवश्यकता
- OBC की 2,650 जातियों के सटीक आंकड़े मिलेंगे
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: कांग्रेस से BJP तक
- राहुल गांधी: “हम लंबे समय से मांग कर रहे थे, तेलंगाना मॉडल को अपनाया जाए” बता दे, आज इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस को संबोधित किया।
- मल्लिकार्जुन खड़गे: “INDIA गठबंधन की मांग पर सरकार को झुकना पड़ा”
- नीतीश कुमार: “बिहार ने पहले ही जातिगत सर्वे करा लिया था”
- अश्विनी वैष्णव: “यह समावेशी विकास की दिशा में बड़ा कदम”
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभूतपूर्व निर्णय बताया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफार्म पर लिखा कि, 140 करोड़ देशवासियों के समग्र हित में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में CCPA द्वारा जाति जनगणना को आगामी जनगणना में शामिल किए जाने का निर्णय अभूतपूर्व एवं स्वागत योग्य है।
अखिलेश यादव ने कहा, सपा लंबे समय से जातिय जनगणना की मांग करती रही है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि, नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने संसद में जातिवार जनगणना का मुद्दा केंद्र की हर सरकार में पुरज़ोर तरीक़े से उठाया था। क्योंकि वो जानते थे कि जाति की गणना न कराने से कमज़ोर-पिछड़ों के अधिकारों की हक़मारी की जा रही है।
नेता जी (मुलायम सिंह) अत्याचार, उत्पीड़न, शोषण और पिछड़ेपन के दंश को जानते थे और ये मानते थे कि जब तक सरकारों को झकझोरा और जगाया नहीं जाएगा, तब तक परंपरागत शक्तिशाली लोग न तो सत्ता में किसीको हिस्सा देंगे, न उनका अधिकार। अखिलेश ने Caste Census को इंडिया की जीत बताया।
बिहार और तेलंगाना मॉडल: क्या सीख लेगी केंद्र सरकार?
बिहार ने अक्टूबर 2023 में जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए थे, जबकि तेलंगाना ने अधिक व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार इन दोनों मॉडल्स से सबक ले सकती है।
क्यों जरूरी है जातिगत जनगणना?
- OBC, SC, ST की वास्तविक जनसंख्या का पता चलेगा
- सरकारी योजनाओं का बेहतर आवंटन संभव होगा
- शिक्षा और रोजगार में भागीदारी का सही आकलन
- आरक्षण नीतियों को वैज्ञानिक आधार मिलेगा
संवाददाता: अवधेश यादव, स्मार्ट खबरी न्यूज़ डेस्क